![क्यों होती है लक्ष्मी-गणेश की संयुक्त पूजा? क्यों होती है लक्ष्मी-गणेश की संयुक्त पूजा?](https://cdn.magzter.com/1382621400/1663830979/articles/dmZ4K06yA1663912686357/1663912871857.jpg)
दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ भगवान् विष्णु की पूजा नहीं होती है, वरन् गणेश जी की पूजा होती है। कभी आपने विचार किया है कि ऐसा क्यों होता है? लक्ष्मी और गणेश जी के मध्य क्या सम्बन्ध है ? इन्हीं सब जिज्ञासाओं को शान्त करती है यह पौराणिक कथा।
एक समय की बात है, वैकुण्ठ धाम में भगवान् विष्णु एवं माता लक्ष्मी विराजमान् होकर आपस में वार्ता कर रहे थे। माता लक्ष्मी श्रीहरि से कह रही थीं कि किस प्रकार वे दुनिया में सबसे अधिक पूजनीय एवं श्रेष्ठ हैं। उनकी कृपा जिस पर हो जाती है, वही त्रिलोकों के सभी सुखों को पा लेता है। लक्ष्मी को इस प्रकार अपनी प्रशंसा करते देखकर भगवान् विष्णु ने उनके अहं भाव को कम करने के लिए "तुम सर्वसम्पन्न होते कहा कि भी आज तक मातृसुख प्राप्त नहीं कर पायी हो। समस्त लोकों में जो नारी मातृत्व सुख को प्राप्त नहीं कर पाए, उसके लिए त्रिलोकों के समस्त सुख महत्त्वहीन होते हैं।”
Diese Geschichte stammt aus der October 2022-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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![केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/SuR0wj8HF1738759486501/1738759610756.jpg)
केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।
![मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/C7d1RAaMZ1738758957083/1738759235341.jpg)
मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।
![उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/mOmP8ZTNZ1738757679180/1738758947805.jpg)
उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।
![इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/ED_fCI6K71738760919210/1738761138370.jpg)
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।
!['कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'! 'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/uGgQp601J1738760064125/1738760413706.jpg)
'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।
![क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/lYnidG2NA1738757197611/1738757410993.jpg)
क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।
![त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/22FZEY1N41738756708777/1738756961143.jpg)
त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।
![लोककल्याणकारी देवता शिव लोककल्याणकारी देवता शिव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/cbij2oJRt1738756961454/1738757183649.jpg)
लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।
![प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/puD2HSaBI1738756148906/1738756532776.jpg)
प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।
![रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार) रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/PqYFAHF5A1738760718820/1738760902571.jpg)
रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।