![कैसे करें पूजा? जो आपके लिए हो लाभकारी! कैसे करें पूजा? जो आपके लिए हो लाभकारी!](https://cdn.magzter.com/1382621400/1687941802/articles/_CXqqnnm_1688371432782/1688371933904.jpg)
इस भागती-दौड़ती जिन्दगी में सब-कुछ अनिश्चित है। कुछ भी निश्चित नहीं है। हमारे प्रत्येक क्रियाकलापों का असर हमारे जीवन पर अवश्य दिखाई देता है। जीवन का एक भाग मजबूत करने के लिए हम भगवान् की शरण में जाते हैं, क्योंकि वही एकमात्र ऐसी जगह है, जहाँ जाकर जीवन में निश्चिन्तता एवं शान्ति मिलती है, जहाँ जाकर इस भाग-दौड़ भरी जिन्दगी में मन को आराम मिलता है।
भगवान् की शरण में जाने के लिए तमाम तरीकों से भगवान् की पूजाउपासना की जाती है। भगवान् की पूजा-उपासना करना ही इस कलियुग में भगवान् से जुड़ने का एक माध्यम है। इसी माध्यम से एक भक्त अपनी आवाज प्रभु तक पहुँचा सकता है। हालाँकि हमें भगवान् की पूजा-उपासना करते समय हमें कुछ सावधानियाँ भी बरतना अनिवार्य है।
● भगवान् की पूजा-आराधना ब्रह्ममुहूर्त में अथवा सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के दौरान करना अत्यन्त शुभ होता है। पूजा हमेशा पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओ मुख करके करनी चाहिए।
● कोई भी काम करने से पहले जिस प्रकार उसकी तैयारी करना बहुत ही जरूरी होता है, उसी प्रकार पूजा की तैयारी करना भी बहुत जरूरी होता है। इसलिए पूजा करने से पूर्व सर्वप्रथम पूजास्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए।
● भगवान् को अर्पित किए गए फूल, अगरबत्ती तथा धूपबत्ती की राख को एक स्थान पर एकत्रित करके रख देनी चाहिए अथवा इन्हें किसी पौधे के गमले में डाल देना चाहिए। इन्हें इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए, क्योंकि इनके अन्दर एक पॉजिटिव एनर्जी होती है।
● पूजा करने से पहले स्नान करना बेहद जरूरी होता है। पूजा के दौरान तन और मन का स्वच्छ होना बहुत जरूरी होता है। अगर कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी है, तो उन्हें स्नान न करके हाथपैर और सिर को धो लेना चाहिए। उसके बाद ही पूजा करनी चाहिए।
Diese Geschichte stammt aus der July 2023-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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![केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/SuR0wj8HF1738759486501/1738759610756.jpg)
केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।
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मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।
![उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/mOmP8ZTNZ1738757679180/1738758947805.jpg)
उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।
![इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/ED_fCI6K71738760919210/1738761138370.jpg)
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।
!['कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'! 'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/uGgQp601J1738760064125/1738760413706.jpg)
'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।
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क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।
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त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।
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लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।
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प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।
![रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार) रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/PqYFAHF5A1738760718820/1738760902571.jpg)
रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।