![घर में पानी का सही स्थान बनेगा भाग्योदय में सहायक घर में पानी का सही स्थान बनेगा भाग्योदय में सहायक](https://cdn.magzter.com/1382621400/1706338229/articles/vZ3YjZYmx1706769368550/1706769570771.jpg)
हमारा शरीर पाँच तत्त्वों से मिलकर बना है और इन्हीं पाँच तत्त्वों में से एक तत्त्व जल है। वास्तु भी इन पाँच तत्त्वों पर ही काम करता है। जिस प्रकार से शरीर के इन पंचतत्त्वों का संतुलन गड़बड़ होने पर शरीर में दोष पैदा हो जाते हैं। इन दोषों को आयुर्वेद में ‘त्रिदोष’ (वातदोष, पित्तदोष, कफदोष) कहते हैं। इसी प्रकार हमारी वास्तु में यदि इन पाँच तत्त्वों का संतुलन सही नहीं है, तो उसे 'वास्तुदोष' कहते हैं।
जल ही जीवन है और इसके बिना जीवन सम्भव नहीं, तो प्रस्तुत आलेख में हम पानी की ही बात करेंगे, जो सबसे ज्यादा आवश्यक है। वास्तु में जल तत्त्व के लिए विशेष स्थान का निर्धारण किया गया है। ऐसे में यदि जल सही स्थिति में होगा, तो घर तथा व्यापार में शान्ति रहेगी। यह आपके घर-परिवार और व्यापार के लिए हमेशा तरक्की के रास्ते खोलता है, क्योंकि जल की प्रवृत्ति ही आगे बढ़ने की होती है। जल तत्त्व में पानी का टैंक, कुआँ, बोरिंग, रेन वाटर हारवेस्टिंग, फाउण्टेन, वाटर फाल, स्वीमिंगपूल, वाटर बॉडी आदि तथा फैक्ट्री में चिलर, फायर टैंक अगर कहीं पानी इकट्ठा भी हो रहा है, तो उसे भी शामिल किया जाता है।
वास्तु की जो हमारी आठ दिशाएँ हैं, उन आठ दिशाओं में जल के किस प्रकार के अच्छे-बरे परिणाम मिलते हैं? यह हमारे शास्त्र में इस प्रकार वर्णित किया गया है-
कूपे वास्तोर्मध्यदेशेऽर्थनाशस्त्वेशान्यादौ पुष्टिरैश्वर्यवृद्धिः। सूनोर्नाशः स्त्रिविनाशो मृतिश्च सम्पत्पीडा शत्रुतः स्यात् च सौख्यम्।। (मुहूर्त चिन्तामणि)
Diese Geschichte stammt aus der February 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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![केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/SuR0wj8HF1738759486501/1738759610756.jpg)
केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।
![मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/C7d1RAaMZ1738758957083/1738759235341.jpg)
मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।
![उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/mOmP8ZTNZ1738757679180/1738758947805.jpg)
उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।
![इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1976974/ED_fCI6K71738760919210/1738761138370.jpg)
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।
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'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।
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क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।
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त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।
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लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।
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प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।
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रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।