वर्तमान में जब प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा होती जा रही है, साथ ही असन्तोष और मानसिक व्याधियों का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। मनुष्य दु:खी क्यों होता है? उद्विग्न क्यों होता है? उसमें अपराध भावना क्यों जन्म लेती है? वह छोटे-छोटे कारणों से क्यों आत्महत्या को तत्पर हो जाता है? इन सबका प्रमुख कारण मानसिक है।
मानसिक रोगों का कारण
मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं होने पर कई शारीरिक रोग हो जाते हैं। वासनामयी भावना ही दुःख का कारण है। वासना की भावना में डूबकर उसमें घुलकर मनुष्य अपना आत्मविश्वास खो बैठता है। आजकल मनुष्य का मन इतना संवेदनशील और दुर्बल हो गया है कि संसार की विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करने की शक्ति का उसमें अभाव हो गया है। बाहरी सांसारिक कारणों से उसका विवेक शून्य हो जाता है। मन का सन्तुलन नहीं रहने से विचार शक्ति नष्ट हो जाती है।
Diese Geschichte stammt aus der June 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.
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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
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सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।
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