धार्मिक आस्था का पर्व नागपंचमी
Jyotish Sagar|August 2024
समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे पीने को कोई तैयार नहीं था। अन्तत: भगवान् शंकर ने उसे पी लिया। भगवान् शिव जब विष पी रहे थे, तभी उनके मुख से विष की कुछ बूँदें नीचे गिरीं और सर्प के मुख में समा गयीं। इसके बाद ही सर्प जाति विषैली हो गई।
डॉ. विभा खरे
धार्मिक आस्था का पर्व नागपंचमी

नागपंचमी का त्योहार पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है। नाग हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। नागों को धारण करने वाले भगवान् भोलेनाथ की पूजा-आराधना करना भी 'नागपंचमी' के दिन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इन्हें शक्ति एवं सूर्य का अवतार भी माना जाता है।

नागपंचमी पर नागों के दर्शन शुभ

हमारे देश में नागपूजा प्राचीन काल से चली आ रही है। श्रावण माह के शुक्लपक्ष में पंचमी तिथि को नागपंचमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इसे 'नागपंचमी' के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है। इस दिन नागों के दर्शन दिन शुभ माना जाता है। एक समय लीलाधर नाम का एक किसान था, जिसके तीन पुत्र तथा एक पुत्री थी। एक सुबह जब वह अपने खेत में हल चला रहा था, उसके हल से साँप के बच्चों की मौत हो गई। अपने बच्चों की मौत को देखकर नाग माता को काफी क्रोध आया और नागिन अपने बच्चों की मौत का बदला लेने किसान के घर गई।

रात को जब किसान और उसका परिवार सो रहा था, तो नागिन ने किसान, उसकी पत्नी और उसके बेटों को डस लिया और सभी की मौत हो गई। किसान की पुत्री को नागिन ने नहीं इसा था, जिससे वह जिन्दा बच गई।

Diese Geschichte stammt aus der August 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.

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