विघ्नविनाशक श्रीगणेश
Jyotish Sagar|September 2024
अपनी तपस्या भंग होते देखकर वे कुपित हो गए और तुलसी को शाप दिया कि उसका विवाह किसी असुर से होगा। साथ ही, मेरी पूजा में तुम्हें कभी भी सम्मिलित नहीं किया जाएगा।
डॉ. श्याम मनोहर व्यास
विघ्नविनाशक श्रीगणेश

पूर्व वैदिक काल से ही गणेश पूजन की परम्परा रही है। कोई भी शुभ एवं पवित्र कार्य प्रारम्भ करने पर श्रीगणेश पूजन किया जाता है, अतः गणेश पूजन प्रथम है। इसका एक कारण यह भी है कि भगवान् गणेश को जिस प्रकार विघ्न विनाशक माना गया है, वैसे ही विघ्नेश्वर भी हैं। देवताओं में गणेश का स्थान प्रथम है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भी भगवान् गणेश बुद्धि, शुभता और विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाले देव हैं। गणेश की आराधना करने से जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है। व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्त बाधाएँ दूर होती हैं। गणेश जी के पिता शिवजी और माता देवी पार्वती हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था। यह पर्व गणेश चतुर्थी को भारत ही नहीं, वरन् विश्व के अनेक देशों में हिन्दुओं द्वारा उल्लासपूर्वक मनाया जाता है। स्कन्दपुराण के अनुसार —

गणनायक करिवरवदन एव भाद्रचतुर्थ्यास अवतीर्णो गजाननः ।

(स्कन्दपुराण, गणेश खण्ड अध्याय-1)

इस दिन सिद्धि विनायक व्रत भी रखा जाता है। महाराष्ट्र राज्य में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दस दिनों तक निरन्तर पूजा - अर्चना के पश्चात गणेश विसर्जन का कार्यक्रम होता है। एक दो नहीं वरन् सैकड़ों गणेश प्रतिमाएँ जल में विसर्जित की जाती हैं। स्त्री-पुरुष, बाल, वृद्ध सभी आनन्दित होकर यह नारा लगाते हैं-

गणपती बाप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या ।

अर्थात् हे गणेश! अगले वर्ष तुम शीघ्र आना। हिन्दू धर्म के अनुसार चतुर्थी तिथि का बड़ा महत्त्व है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में शुक्लपक्ष और कृष्णपक्ष में पड़ने वाली दोनों ही चतुर्थी तिथि को भगवान् गणेश की पूजा के लिए शुभ मानी गई हैं।

बुधवार का महत्त्व

Diese Geschichte stammt aus der September 2024-Ausgabe von Jyotish Sagar.

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