(गतांक से आगे)
हनुमान कुछ ही क्षणों में अशोक वाटिका पहुँच गए। सुन्दर पुष्पलताओं से महकती अशोक वाटिका में अनेक प्रकार के स्वादिष्ट फलों से लदे हुए वृक्ष हैं। करीने से सजी क्यारियाँ, जलधाराएं वाटिका के सौंदर्य में चार चाँद लगा रही हैं। निर्मल जल से पूरित सुन्दर नक्काशी से बना सरोवर और अत्यन्त मनभावन कलाकृतियों से सज्जित शिव मन्दिर मन को आकर्षित कर देनेवाला है। किन्तु श्रीराम के कार्य के प्रति सजग हनुमान की दृष्टि इन पर कहाँ पड़नेवाली है, वे तो धरे सूक्ष्मरूप राक्षसों से बचते सीधे अशोक वृक्ष के निकट जा पहुँचे और उछलकर उस वृक्ष पर जाकर बैठ गए। वृक्ष से नींचे देखा तो वहाँ सीतामाता उदास बैठी हुई हैं। उनके लम्बे काले केश उलझकर जटा का रूप ले चुके हैं, सम्भवतः प्रभु के वियोग में अन्न जल का त्याग कर देने के कारण उनका शरीर अत्यन्त कृशकाय हो गया है। उनकी त्वचा पीली पड़ गई है। वे तन पर एक मैली सी साड़ी पहने हुए हैं। | सीतामाता की ऐसी हृदय को विदीर्ण कर देनेवाली स्थिति देखकर हनुमान के नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगी।
हनुमान नीचे उतरकर सीतामाता के निकट जाने का विचार करते ही हैं कि अचानक वाटिका के द्वार से कोलाहल सुनाई पड़ता है। हनुमान सावधान हो गए। सीता शोर सुनकर सिकुड़ कर बैठ गई। द्वार से कई राक्षस-राक्षसियों से घिरे हुए राजसी वस्त्र पहने रत्नजड़ित मुकुट पहने, तन और आकर्षक व्यक्तित्व वाला राक्षस आता दिखता है । उसे देखते ही हनुमान समझ जाते हैं कि यही लंकापति रावण है। रावण के साथ मन्दोदरी भी है जिसे हनुमान ने रानीवास में देखा था। सीता के सम्मुख आकर रावण कहने लगा- "हे सुन्दरी सीते, तुम मुझसे डरती क्यों हो? मैं तो तुम्हें प्राणों से भी अधिक प्रेम करता हूँ। मेरे आने से तो तुम्हें प्रसन्नता होनी चाहिए।" ऐसा कहते हुए रावण सीता के निकट आने को होता है तो सीता भयभीत होकर पीछे हट जाती हैं। रावण अट्टहास करते हुए कहता है-
Diese Geschichte stammt aus der Kendra Bharati September 2022-Ausgabe von Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष