जुलाई, अगस्त 2022 में महिलाओं को ले कर 2-2 गुड न्यूज आई हैं- पहली रोशनी नेदार ने भारत की सब से अमीर महिला होने का गौरव हासिल किया है तो दूसरी ओर सावित्री जिंदल ने एशिया की सब से अमीर महिला होने का खिताब जीता है. इन दोनों महिलाओं की आर्थिक जगत में कामयाबी इशारा करती हैं कि महिलाएं आज सामाजिक और आर्थिक मोरचे पर पुरुषों से भी आगे निकल रही हैं.
लेकिन यह तसवीर का एक छोटा और अधूरा पहलू है क्योंकि जिस देश की आबादी 150 करोड़ से भी ज्यादा हो वहां की आधी आबादी यानी महिला शक्ति अभी भी आर्थिक मोरचे पर पुरुषों के मुकाबले बहुत कमजोर है.
इस के कारणों का विश्लेषण करेंगे तो शिक्षा ही एक ऐसा कारण नजर आता है, जो सालों से महिलाओं को पुरुषों से काबिलीयत में पीछे कर रहा है. भारत में महिलाओं की शैक्षणिक स्थिति का जायजा लेने जाएंगे तो आज भी देश के कसबों, गांवों में महिलाएं स्कूल जाने के बजाय चूल्हेचौके में अपने भविष्य को झोंक रही हैं. यही वजह है कि आजादी के 75 सालों के बाद भी शिक्षा के मोरचे पर महिलाएं फेल हैं.
महिला साक्षरता दर में राजस्थान फिसड्डी
अगर बात करें महिला साक्षरता की तो देश के अन्य राज्यों की तुलना में राजस्थान की स्थिति काफी खराब है. आंकड़ों के अनुसार महिला साक्षरता दर में राजस्थान फिसड्डी राज्य की श्रेणी में आता है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि यह जनगणना के आंकड़े बताते हैं. राजस्थान के जालौर और सिरोही में महिला साक्षरता दर महज 38 और 39% है जो काफी कम है. हालत में अभी भी ज्यादा सुधार नहीं है.
बिहार का हाल भी बेहाल
एनएसओ की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि बिहार में पुरुष साक्षरता दर महिलाओं से ज्यादा है. बिहार में जहां 79.7% पुरुष साक्षर हैं, वहीं सिर्फ 60% महिलाएं ही साक्षर हैं. बिहार में कुल ग्रामीण साक्षरता दर 69.5% है, वहीं शहरी साक्षरता 83.1% है.
बिहार में लगभग 36.4% लोग निरक्षर
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