काम के प्रति उत्साह होना बहुत अच्छी बात है, लेकिन जब यही उत्साह सभी सीमाओं को तोड़ते हुए उन्माद में बदल जाए और किसी शख्स पर हावी हो जाए तो परेशानी बन जाता है. राकेश आहूजा को अपना घर इतना ज्यादा साफसुथरा और कायदे से रखने की आदत है कि अपनी महरी से वे 2-2, 3-3 बार फर्श पर पोंछा लगवाते हैं. उन के वहां कोई महरी 1 महीने से ज्यादा नहीं टिकती. महल्ले के लोग उन्हें हर समय कामवाली की तलाश करते ही पाते हैं.
उन की पत्नी सीमा बेटे को ले कर अपने मायके में रहती हैं क्योंकि राकेश आहूजा को यह बरदाश्त नहीं था कि उन के नन्हे बेटे के खिलौने, कपड़े आदि घर में बिखरे रहें. सीमा आहूजा सफाई के प्रति पति के सनकीपन से घबरा उठी तो उन्होंने घर छोड़ दिया. वे कहती हैं कि घर वह होता है जहां आदमी सुकून से रह सके, वह तो होटल है, चमचमाता हुआ, जहां बच्चा अपनी मरजी से खिलौने फैला कर खेल भी नहीं सकता.
मेनिया यानी सनक की शिकार
लत, सनक को डाक्टर मेनिया का नाम देते हैं. राकेश हूजा और अंजलि की सास दोनों मेनिया यानी सनक का शिकार हैं, जिन्हें इलाज की जरूरत है. कभीकभी लोग शक को हकीकत मान कर अपनी और दूसरे की जिंदगी बेहाल बना देते हैं. जैसे कोमल को लगता है कि उन के पति का दूसरी औरतों के साथ चक्कर है.
इस चक्कर में वे खुद तनावग्रस्त रहती हैं. पति का फोन, उन का मेल बौक्स, बैग, पतलून की जेबें टटोलती रहती हैं. कुछ न मिलने पर झुंझलाती हैं और पति से लड़ने का बहाना तलाशती हैं. अपने शक के कारण उन्होंने अपनी सेहत तो खराब कर ही ली है, पति भी कलह से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय औफिस में ही बिताते हैं. कोमल की जो मानसिक हालत है, साइंस की भाषा में उसे सिजोफ्रेनिया कहते हैं.
जब दिमाग में कैमिकल लोचा हो तो मुन्ना भाई एमबीबीएस वाली स्थिति बन जाती है. गांधीजी के बारे में ज्यादा पढ़ने पर चारों ओर वे ही दिखने लगते हैं. जब ऐसी स्थिति आम जिंदगी में भी बनने लगे, तब इलाज की जरूरत होती है.
इसी तरह कई बार इतने उन्मादी बन जाएं कि हकीकत से नाता ही टूट जाए. पौकेट या अकाउंट में 100 रुपए भी न हों, लेकिन किसी को करोड़ों रुपए दान देने की बात करे या बैंक चैक भी साइन कर के दे दें तो इलाज कराना अति आवश्यक हो जाता है.
Diese Geschichte stammt aus der November First 2022-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der November First 2022-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....
जब मन हो मंचिंग का
फ़ूड रेसिपीज
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....