अमित 10 साल का है. आज वह पूरे घर में अकेला था क्योंकि उस की मां को अचानक अपने पिता की खराब तबीयत की वजह से हौस्पिटल जाना पड़ा. उस समय अमित स्कूल में था, इसलिए उस की मां ने अपनी पड़ोसिन को अमित का खयाल रखने को कहा था.
अमित स्कूल से आया तो थोड़ी देर तो बगल वाली आंटी के घर रुका, मगर फिर अपने घर आ गया और दरवाजा लगा कर सो गया. करीब 1 घंटे बाद उस की नींद टूटी और खुद को अकेला पा कर वह डरने लगा. उसे बारबार लग रहा था जैसे दरवाजे पर कोई है. उस ने दरवाजा खोल कर देखा.
किसी को न पा कर और डर गया. उसे इस बात का भी डर लग रहा था कि जैसे अब उस की मां उस के पास वापस नहीं आएगी. वह उस से नाराज हो कर गई है ताकि उसे सजा मिल सके. उस की इतनी भी हिम्मत नहीं हुई कि वह फिर से बगल वाली आंटी के यहां चला जाए.
अमित लग रहा था जैसे कोई अजनबी आएगा और उसे उठा कर ले जाएगा. उसे अपने पापा पर भी गुस्सा आ रहा था कि वे भी उस के बारे में नहीं सोच रहे हैं. सब ने उसे अकेला छोड़ दिया है.
यह उदाहरण है एक ऐसे पेरेंट्स चाइल्ड रिलेशनशिप का जिस में आपसी बौंडिंग मजबूत नहीं है. बच्चे को अपने पेरैंट्स पर भरोसा नहीं. इसी का नतीजा है कि अकेला होने पर उसे तरहतरह की चिंता और डर सत्ता रहा है. उसे इस बात का विश्वास नहीं कि पेरैंट्स उस से प्यार करते हैं और पास न होने के बावजूद उस की सुरक्षा का पूरा खयाल रखेंगे. वह इस बात से भी डर रहा है कि क्या पता मां लौट कर आए भी या नहीं.
बच्चों के साथ मांबाप का रिश्ता मजबूत हो तो बच्चे बड़े हो कर समझदार, निडर और व्यवहारकुशल बनते हैं. वहीं यदि किसी बच्चे को बचपन में अपने मातापिता का प्यार न मिल पाए तो बचपन से ही उस के मन में कुंठा भर सकती है. इन वजहों से बच्चों में डिप्रैशन भी हो सकता है. इसलिए बच्चों के सुनहरे भविष्य और परिवार में खुशियां बनाए रखने के लिए पेरैंट्स का बच्चों के साथ मजबूत रिश्ता होना बहुत जरूरी है.
आइए, जानते हैं अपने बच्चे के साथ ऐसी बौंडिंग शेयर करने के लिए आप को क्या करना चाहिए:
अपना उदाहरण देने से बचें
Diese Geschichte stammt aus der November Second 2022-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
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