औफिस में बैठे 4 पुरुष दोस्त महिलाओं के गाड़ी चलाने को ले कर बातें कर रहे हैं. एक पुरुष कहता है, “महिलाएं कई बार बिना इंडिकेटर के खटाक से लेन बदल देती हैं."
उस पर हंसते हुए दूसरा पुरुष दोस्त कहता है, "हां, सही कह रहे हो भाई, लेकिन ये महिलाएं मानती ही कहां हैं कि इन्हें ठीक से गाड़ी चलाना नहीं आता. पार्किंग की तो जरा भी सैंस नहीं है इन में. गाड़ी कहीं भी पार्क कर देती हैं."
उस पर तीसरा पुरुष दोस्त उन की हां में हां मिलाते हुए कहता है, “मैं ने जब भी ड्राइव करते हुए अचानक ब्रेक लगाए, तो ज्यादातर मेरे आगे गाड़ी चलाने वाली महिला की ही गलती होती है."
उस पर चौथा दोस्त ठहाके लगाते हुए बोलता है, “तभी तो औरतों को गाड़ी चलाते देख मैं और ज्यादा सतर्क हो जाता हूं क्योंकि उन का क्या भरोसा, कहीं ठोक दिया तो वेबजह मारा जाऊंगा."
शबनम कहती हैं, जब सिर पर हैलमेट और हाथों में ग्लव्स पहने अपनी बुलेट पर वे निकलती हैं, तो लोगों को यह बात कुछ हजम नहीं होती. रोजरोज सड़कों पर इन का सामना चौंकाई हुई नजरों से होता है. एक बार जब वे और उन की महिला मित्र बाइक पर सवार थीं और जब रास्ते में ट्रैफिक सिगनल पर वे रुकीं तो पास खड़े मारुति वैन में बैठे कुछ पुरुष चिल्लाते हुए बोलें कि अरे, देखो.
बाइक चलाने वाली महिला और पिछली सीट पर भी महिला. उस के बाद आसपास मौजूद लोग उन्हें अजीब नजरों से देखने लगे. उन्हें बाइक पर देख कुछ पुरुषों ने आश्चर्य के बजाय घृणा व्यक्त की बाइक चलाते वक्त एक युवक ने तो उन्हें धक्का तक देने की कोशिश की.
बदली नहीं सोच
पितृसत्तात्मक समाज यह बात पचा नहीं पाता है कि गाड़ी में पीछे बैठने वाली महिलाएं आगे आ कर इतनी अच्छी ड्राइविंग कैसे कर सकती हैं. देश में पहले महिलाएं किचन और बच्चे संभालती थीं और पुरुष के हाथों में स्टेयरिंग होता था. लेकिन अब जमाना बदल गया है. महिला को ड्राइवरी करते देख पुरुषों को उन की आजादी पची नहीं और आज जब वे किसी महिला को गाड़ी चलाते देखते हैं तो उन्हें सहन नहीं होता और अपनी खुन्नस निकालने के लिए तरहतरह के कमैंट्स करने लगते हैं कि पता नहीं इन्हें गाड़ी चलाने क्यों दे देते हैं.
Diese Geschichte stammt aus der March First 2023-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
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