एक जमाना था जब औटोमोबाइल कंपनी अपनी कार को 'लेडी ड्राइवन' बता कर बेंचती थीं. 'लेडी ड्राइवन' का मतलब था सुंदर, सुशील और कार्य में दक्ष अर्थात यह रास्ते में आप को धोखा नहीं देगी, हाथ गंदे नहीं करेगी, मंजिल तक पहुंचाएगी.
उस जमाने में कार चलाना एक दुष्कर कार्य माना जाता था. पुरुष भी कार निकालने में हिचकते थे, ड्राइवर रखना मजबूरी थी. महिलाएं गाड़ी चलाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थीं. आज औटोमोबाइल इंडस्ट्री में बहुत तेज गति से परिवर्तन हो रहे हैं.
आज जो आधुनिक कारें बाजार में मौजूद हैं उन के सामने 20 साल पुरानी कारें भी बैलगाड़ी की तरह हैं. लेकिन आज भी देश में मात्र 12% महिलाओं के पास चार पहिया चलाने का लाइसैंस हैं, मात्र 5% महिलाएं नियमित कार चलाती हैं और बिरली ही कोई महिला पति के बैठे होने पर गाड़ी चलाने की हिम्मत करती है.
अब महिलाओं के लिए खुशखबरी है कि कार निर्माताओं का अगला लक्ष्य वास्तव में महिलाओं के अनुकूल गाड़ियों का निर्माण करना ही है.
महिलाओं के लिए अब तक कारों में जो प्रमुख परिवर्तन हुए उन में सब से प्रमुख औटो ट्रांसमिशन है. औटो ट्रांसमिशन तकनीक ने कारों को भी स्कूटर चलाने जितना आसान बना दिया है. गियर बदलने का झंझट मिटते ही तमाम महिलाओं ने कार चलाना शुरू कर दिया है.
अब आप भी जल्दी गाड़ी खरीदने का प्लान कर लीजिए. अब आप को किट्टी पार्टी में जाने के लिए अपने पति का मुंह ताकने की जरूरत नहीं है.
विस्तार से जानिए कार के इन नए फीचर्स के बारे में:
5 टाइप के होते हैं औटोमैटिक ट्रांसमिशन
पहली बात तो यह जान लेना जरूरी है कि औटोमैटिक ट्रांसमिशन 5 प्रकार के होते हैं जिन्हें आईएमटी, एएमटी, सीवीटी, टार्क कन्वर्टर औटोमैटिक और ड्यूअल क्लच ट्रांसमिशन (डीसीटी या डीएसजी) नाम से जानते हैं. ये सभी तरह के औटोमैटिक ट्रांसमिशन कम कीमत की कारों में भी बजट के मुताबिक कंपनियों द्वारा दिए जाने लगे हैं.
औटोमैटिक ट्रांसमिशन वाली कारों के फायदे
Diese Geschichte stammt aus der April First 2023-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
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