विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है. अब तक हम सोचते थे कि स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से बच्चों की आंखें खराब होती हैं. लेकिन डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट के मुताबिक इस के परिणाम और भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.
5 साल से कम उम्र के बच्चों का निर्धारित समय से ज्यादा स्क्रीन टाइम उन के शारीरिक और मानसिक विकास पर सीधा असर डालता है. इस रिपोर्ट के जरीए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हिदायत दी है कि पेरैंट्स अपने छोटे बच्चों को मोबाइल फोन, टीवी स्क्रीन, लैपटौप और अन्य इलैक्ट्रौनिक उपकरणों से जितना हो सके दूर रखें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन
1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जीरो स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है यानी उन्हें बिलकुल स्क्रीन के सामने नहीं रखना है. 1 से 2 साल के बच्चों के लिए दिनभर में स्क्रीन टाइम 1 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इस के साथ ही 3 घंटे फिजिकल ऐक्टिविटीज करने की सलाह दी गई है. इस उम्र में बच्चों को कहानी सुनाना उन के मानसिक विकास के लिए फायदेमंद साबित होगा. 3 से 4 साल तक के बच्चों के लिए भी दिनभर में ज्यादा से ज्यादा समय 1 घंटा निर्धारित किया गया है.
यह दायित्व पेरैंट्स का है कि वे बेबीज को मोबाइल और टीवी से दूर रखें, जबकि सभी पेरैंट्स इस बात की गंभीरता नहीं समझते. पीयू रिसर्च सेंटर की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार 45% पेरैंट्स सोचते हैं कि 12 साल की उम्र से पहले बच्चों को फोन नहीं देना चाहिए जबकि 28% मातापिता का मानना है कि 15 साल के होने के बाद ही बच्चों को फोन मिलना चाहिए. वहीं 22% पेरैंट्स 11 साल से भी छोटे बच्चों को फोन देने के लिए तैयार हैं.
छोटे बच्चे को फोन देने के बाद आप को उस पर नजर रखनी चाहिए. उस के फोन की ऐप्स को मौनिटर करें और इस्तेमाल के समय को सीमित करें. उस के फोन में गलत वैबसाइट या सर्च को हटा दें. उसे इंटरनैट और सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान और खतरों के बारे में बताएं.
Diese Geschichte stammt aus der June Second 2023-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
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