लौन भले ही छोटा हो, मगर हराभरा हो, कुछ ऐसा जो आंखों को ठंडक दे, पैर रखें तो मखमली घास में धंस जाएं. ऐसे लौन की चाहत के लिए इन जरूरी बातों को ध्यान में रखना होगा:
जमीन का चयन : बगिया में लौन किस ओर कहां, किस साइज का बनाया जाए इस के लिए सब से पहले अपने मकान के प्लौट का साइज देखें. यदि 500 गज के प्लौट पिछवाड़े लौन तैयार कर रहे हैं तो घास खराब न हो, इस पर आराम से चल सकें, इस के लिए लौन के चारों ओर पैदल चलने के लिए एक पटरी बनाएं. यह प्रावधान रखें कि गोलगोल पत्थर कुछ दूरी पर रख कर आकर्षक रास्ता बने. पत्थर चौकोर या मनपसंद आकार का हों, यह चारों ओर से खुला हो, पेड़ों से ढका न हों, वहां पानी न खड़ा रहता हो, पथरीला न हो.
भूमि की जांच : जब यह तय हो जाए कि लौन कहां बनवाना है, तो सब से पहले किसी सौइल एजेंट से अपनी भूमि की जांच करवा लें. दिल्ली पूसा इंस्टिट्यूट में सौइल टैस्ट लैब से किसी विशेषज्ञ से या किसी बढ़िया नर्सरी से भूमि जांच की सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं. यह सौइल एजेंट विशेषज्ञ ही आप की भूमि के बारे पूरी जानकारी देगा कि भूमि की किस्म क्या है, रेतीली है, चिकनी है, भुरभुरी है.
इस में न्यूट्रीयनरस कितने हैं, पैलस क्या है, जिस से यह पता चलता है कि यह भूमि अटकलाइन है या नहीं. प्राय उत्तम किस्म के घास वाले लौन के लिए पिट लेवल 6 और 7 के बीच सही माना गया है. यदि जमीन में कुछ कमियां हैं तो भूमि जांच के बाद सौइल एजेंट बताएगा कि अब आगे क्या किया जाए.
Diese Geschichte stammt aus der August First 2023-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
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