प्यार जिंदगी की वह जरूरत है जिस के बिना जीवन अधूरा सा लगता है. पैदा होने से ले कर मरने तक हम किसी न किसी रिश्ते में बंधे रहते हैं जो हमें प्यार का एहसास दिलाता है. फिर चाहे वह रिश्ता मांबाप के साथ हो, भाईबहिन के साथ हो या दोस्तों के साथ. इन सभी रिश्तों में एक रिश्ता वह होता है जो हमारे दिल के सब से करीब होता है और जिस की चाह हर युवा को होती है और वह रिश्ता होता है प्यार का रिश्ता. वह प्यार जिसे हम जिंदगीभर के लिए पाना चाहते हैं, जिस में में शादी कर के घर बसाना चाहते हैं और अपना खुद का परिवार बनाना चाहते हैं.
इस रिश्ते के बिना इंसान अपने आप को अधूरा महसूस करता है. ऐसे जीवनसाथी की चाह उस वक्त से हमारे दिल में शुरू हो जाती है जब हम जवानी की दहलीज पर कदम रखते हैं. उसी दौरान जहां लड़कियां सपनों के राजकुमार को पाने का सपना देखती हैं तो वहीं लड़के भी पत्नी के रूप में अपनी मनपसंद लड़की को पाने का ख्वाब देखने लगते हैं.
मगर जैसे जैसे उम्र बढ़ती है हमारे सामने कई चुनौतियां आती हैं जब हमारा सामना कड़ी सचाई जैसे संघर्ष से भरा जीवन, अच्छे कैरियर की चाह और भविष्य की चिंता असल जिंदगी में बांहें फैलाए स्वागत करती है तो हमें शादी के सही माने भी समझ में आने लगते हैं. तब ऐसा ही महसूस होता है कि ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए एक आग का दरिया है और डूब के जाना है.
तब हमारी इच्छाएं सीमित थी
एक समय ऐसा भी था जब शादी को ले कर इतनी चिंताएं और परेशानियां नहीं थी क्योंकि हमारी इच्छाएं सीमित थीं. हम घर वालों के हिसाब से चलते थे. ज्यादातर अरैंज्ड मैरिज होती थी. तब शादी करना इतना मुश्किल भी नहीं था. उस दौरान शादी के माने भी अहम लगते थे. तब लगता था शादी सही उम्र में हो तो ही अच्छा है क्योंकि उस के बाद बच्चे पैदा करना और घर बसाना है शादी का मकसद होता था. लेकिन जैसेजैसे समय बीतने लगा चीजें भी बदलती गईं.
युवा पीढ़ी के विचारों में भी बदलाव आया. मांबाप भी सोचने लगे कि लड़का हो या लड़की शादी से पहले आत्मनिर्भर होना जरूरी है. उस के लिए पढ़ाई और कैरियर बनाना, आत्मनिर्भर बनना सब से महत्त्वपूर्ण है.
Diese Geschichte stammt aus der September Second 2023-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
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