रितु कितना भी कोशिश कर ले, दफ्तर का तनाव उस पर हावी ही रहता है. जैसे ही कोई काम आता है उसे करना आरंभ कर देती है. जब वह कार्य के मध्य तक पहुंचती है तो बौस के निर्देश बदल जाते हैं. नतीजतन रितु चिड़चिड़ाहट से भर उठती है. वह इतना अधिक चिड़चिड़ाती है कि घरपरिवार में भी उस की लड़ाई हो जाती है. इस तनाव के कारण वह बहुत बार गलत डिसीजन भी ले लेती है. खुल कर हंसना क्या होता है वह भूल चुकी है.
चाह कर भी रितु खुद को कंट्रोल नहीं कर पाती है, जैसे ही कोई कार्य आता है वह बिना सोचेसमझे उसे करने में जुट जाती है. थके मन से कार्य करने के कारण उस की वर्क ऐफिशिएंसी जीरो हो गई.
रितु का मन सोचता नहीं बल्कि दौड़ता है, उस के आसपास आने से लोग कतराते हैं. उधर घर में भी रितु सारे कार्य खुद के ही सुपरविजन में करवाती. घर के कामों के लिए किसी पर विश्वास नहीं कर पाती है.
रितु हाई ब्लड प्रैशर, डायबिटीज की मरीज बन चुकी है. दफ्तर और घर के लोग अब उस से कन्नी काटते हैं. आज भी रितु तनाव में जी रही है पर अब तनाव काम से हट कर सेहत का हो गया है.
पूजा को भी यही बीमारी है. दफ्तर से ले कर घर का हर कार्य खुद ही करने की उस की आदत हो गई है. लगता है। कि उस के बिना कोई काम ठीक से नहीं हो सकता है पूजा को हर काम खुद करना भी होता और फिर सब के सामने रोना भी होता कि घर और दफ्तर में कोई भी कार्य उस के बिना नहीं हो सकता है.
इस का नतीजा यह निकला कि आसपास के लोगों में पूजा हंसी का पात्र बन गई है. सब को लगता है पूजा लाइमलाइट में रहने के लिए ऐसा करती है. इसलिए अब उस के रोने का न घर में और न ही दफ्तर में किसी पर असर होता है, जब भी कोई काम होता है तब सब को पूजा की याद आती है. खाली समय पूजा को भी काटने को दौड़ता है क्योंकि उसे खुद नहीं पता है कि खुद के साथ समय कैसे व्यतीत होता है. वह एक प्रोग्राम्ड रोबोट बन गई है.
Diese Geschichte stammt aus der October Second 2023-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
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