दुबई का जिक्र होते ही दिमाग में बस एक ही छवि आती है चकाचौंध, पैसा, महंगीमहंगी गाड़ियां, शानोशौकत वाली जिंदगी और ऊंचीऊंची इमारतें. दुबई में ही दुनिया के सब से अमीर लोग रहते हैं. लेकिन हमेशा चमकने वाले इसी दुबई कुछ समय पहले महज कुछ घंटे की बारिश ने धो डाला. आधुनिकता की दौड़ में सरपट दौड़ रहा दुबई पानीपानी हो गया. जो दुबई बारिश के लिए तरसता था वहां आसमान से इतना पानी बरसा कि शहर समंदर बन गया. शहर में बाढ़ जैसे हालात हो गए. एअरपोर्ट पर पानी का कब्जा हो गया. मैट्रो स्टेशंस, सड़कें और व्यापारिक संस्थानों में बाढ़ का पानी घुस गया. स्कूल बंद कर दिए गए.
तेज बारिश से राजधानी अबू धाबी के कई इलाके दरिया में तबदील हो गए. दुबई में केवल 24 घंटे में इतनी बारिश हुई जितनी यहां 1 साल में होती है. भीषण बारिश के बाद दुबई जैसे तैरने लगा. यह अपनेआप में एक बड़ी प्राकृतिक आपदा है और दुबई के लोगों के लिए एक बुरे सपने की तरह था. 24 घंटे में ही यहां 160 किलोमीटर बारिश हुई. तेज हवा के साथ आई बारिश ने यहां एक नया संकट खड़ा कर दिया. यहां के लोगों ने इतनी बारिश पहले कभी नहीं देखी थी. पूरा शहर जलमग्न हो गया. ऊंचीऊंची इमारतों के बीच सड़कों पर सैकड़ों गाड़ियां फंस गईं. जिस शहर को दुनिया के सब से आधुनिक शहरों में गिना जाता है उस का एक बारिश में ही दम निकल गया.
आमतौर पर दुबई की सड़कों पर महंगीमहंगी गाड़ियों को दौड़ते आप ने देखा होगा. यहां की सड़कों पर ड्राइव का अलग ही मजा होता है. लेकिन बारिश के बाद दुबई में घुटनों तक पानी भर गया जिस में जगहजगह गाड़ियां फंस गईं और शहर में ही नाव चलने लगी.
अब सवाल है कि जिस दुबई में पूरे साल में 140 से 200 मिलीमीटर बारिश होती है, वहां 24 घंटे में ही 160 मिलीमीटर बारिश कैसे हो गई? पूरे साल यहां भीषण गरमी पड़ती है और अधिकतम तापमान 50 डिग्री सैल्सियस तक पहुंच जाता यहां हमेशा पानी की कमी रहती है. इसीलिए यहां की सरकार हर साल क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश का सहारा लेती है. क्या यही कारण रहा यहां की तबाही का ? क्या क्लाउड सीडिंग सुहाने मौसम की गारंटी बनेगा?
Diese Geschichte stammt aus der September First 2024-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der September First 2024-Ausgabe von Grihshobha - Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....
जब मन हो मंचिंग का
फ़ूड रेसिपीज
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....