सुनीता शादी नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे लगता था कि उस का होने वाला पति उस के साथ तालमेल करेगा या नहीं क्योंकि वह एक अच्छी नौकरी कर रही है, जिस में उसे कई बार बाहर जाना पड़ता है, साथ ही कई दिनरात को भी मीटिंग अटैंड करनी पड़ती है. ऐसे में कई साल बीत गए लेकिन उसे मनपसंद पार्टनर नहीं मिला. एक दिन उसे एक फ्रैंड पार्टी में उस के कालेज का फ्रैंड सुमित मिला, बातचीत हुई, बात आगे बढ़ी और शादी हो गई.
शादी के बाद सुनीता ने पाया कि सुमित जितना शांत है, उतना ही सुनीता के लिए केयरिंग भी है. सुनीता एक दिन औफिस के काम में व्यस्त थी. मीटिंग खत्म होने के बाद जब घर लौटी तो रात के 9 बज गए थे. सुनीता भाग कर जब किचन में गई तो देखा कि उस के पति पास्ता बना कर टेबल पर रख चुके हैं. वह मन ही मन सोचने लगी कि मातापिता की एकमात्र संतान होने पर भी सुमित कितना सुलझा हुआ इंसान है. उसे सब पता होता है कि कब, कहां क्या करना है. सुनीता थैंक्स कह कर टेबल पर बैठी और दोनों ने मिल कर खाना खाया.
सुनीता को सुमित का बनाई डिश बहुत पसंद आई. उस ने इतनी अच्छी डिश बनाने की कल्पना सुमित से तो नहीं की थी. मुसकराते हुए उस ने पूछ लिया कि आखिर सुमित इतनी अच्छी डिश बना कैसे ली ? मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम एक अच्छे पति के साथसाथ एक अच्छे कुक भी हो, बताओ तो जरा कैसे बनाई है? मैं जानना चाहती हूं क्योंकि मैं भी इतनी अच्छा पास्ता नहीं बना सकता.
सुमित ने मुसकराते हुए बताया कि घर में पास्ता पड़ा हुआ था. मैं ने उसे बॉयल किया और छान कर पानी निकाल लिया. शिमलामिर्च और प्याज के मिडियम स्लाइस किए, 6 कली लहसुन के छोटे टुकड़े कर उन्हें बटर में भून लिया, फिर बॉयल पास्ता मिला कर फ्रिज में पड़ी पास्ता सौस को डाल दी और पका लिया. अंत में थोड़ा चीज घिस कर गार्निश कर दिया. बस डिश तैयार हो गई.
यह सुन कर सुनीता भी चौक गई कि सुमित की यह रैसिपी आसान होने के साथसाथ स्वादिष्ठ भी बनी है, जो वाकई काबिलेतारीफ है.
तालमेल जरूरी
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