
प्रारंभ में पलाश झाड़ीनुमा उगता है, परंतु शीघ्र ही पेड़ का रूप धारण कर लेता है। पलाश का फूल चोंच की तरह निकलता है और खिलने पर केसरिया रंग का हो जाता है। पलाश के पेड़ से एक प्रकार का रस निकलता है, जो सूखकर गोंद बन जाता है। यह गोंद बहुत उपयोगी होता है। पलाश कसैला, शीतल, कटु, तिक्त, गर्म, चरपरा और स्निग्ध होता है। इसे अग्निदीपक, वीर्यर्धक, सारक और मलरोधक कहा जाता है। यह मिरगी, सर्पदंश, वृक्कशूल, व्रण, कृमि तथा अंडकोष की सूजन और मूत्रकृच्छ में उपयोगी होने के अलावा विभिन्न चर्म रोगों को दूर करता है। पलाश के औषधीय प्रयोग निम्नलिखित हैं-
• पलाश के बीजों को नींबू के रस के साथ लगाने से दाद और खुजली में लाभ होता है।
• पलाश के फूलों की पुल्टिस बनाकर सूजन वाले स्थान पर बांध दें। सूजन से छुटकारा मिल जाएगा।
• पलाश की छाल और सोंठ को औटा-छानकर पिलाने से सर्पदंश में काफी लाभ होता है।
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क्यों पड़ती हैं चेहरे पर झुर्रियां
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