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धर्म को व्यापार बनाती बाल कथावाचकों की फौज
Mukta|November 2024
बाल कथावाचकों की सोशल मीडिया पर लंबी चौड़ी भीड़ खड़ी हो गई है, सारी जद्दोजेहद फौलोअर्स और सब्सक्राइबर्स पाने की है. जिस उम्र में इन्हें स्कूल में होना चाहिए, हाथों में किताबकौपी व कलम होनी चाहिए, वहां इस तरह का धर्मांध ढोंग करने की प्रेरणा इन्हें मिल कहां से रही है, जानिए.
- ललिता गोयल
धर्म को व्यापार बनाती बाल कथावाचकों की फौज

अपनी कृष्णभक्ति से मशहूर 10 वर्षीय कथावाचक अभिनव अरोड़ा इन दिनों खूब चर्चा में है. अभिनव को अकसर सोशल मीडिया पर आध्यात्मिक वीडियो शेयर करते देखा जाता है. वह रील बनाता है. रील पर भक्ति में नाचता, गाता और रोता भी है.

इस छोटी उम्र में अभिनव अरोड़ा एक यूट्यूबर और इंफ्लुएंसर के साथसाथ कथावाचक के रूप में भी पहचाना जाता है. सोशल मीडिया पर उस के वीडियोज छाए रहते हैं. इंस्टाग्राम पर उस के 9 लाख से अधिक, फेसबुक पर 2.2 लाख और यूट्यूब चैनल पर 1.3 लाख सब्सक्राइबर्स हैं. यह बड़ी संख्या है. हैरानी यह कि वह अपनी भक्ति की ऊटपटांग रील के चलते सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वह खुद को श्रीकृष्ण का बड़ा भाई मानता है.

कुछ समय पहले तक स्कूल में कोई भी अभिनव अरोड़ा के बगल में नहीं बैठना चाहता था पर आज उस की क्लास का हर बच्चा उस के साथ बैठना चाहता है, उन्हें रोस्टर नाना पड़ता है. स्कूल में पढ़ाई के बीच उस के टीचर उसे भजन गाने के लिए कहते हैं. यह पौपुलैरिटी अभिनव ने हासिल कर ली है.

वह अपनी रील्स में धार्मिक उपदेश देता है. जैसे, वह कहता है, 'आप का कोई भी काम नहीं बन रहा हो या अटक रहा हो तो गोपाष्टमी के दिन गाय के कान में जा कर वह बात कह दें, आप का काम हो जाएगा.'

अभिनव अरोड़ा ट्रोल भी खूब हुआ. भक्ति जाहिर करने के लिए जिस तरह की हरकतें वह अपनी रील्स में करता है उसे ले कर लोग उसे नकली और दिखावा बताते हैं. इस पर अभिनव ने कहा, 'मैं चाहता नहीं था मुझे कोर्ट जाना पड़े लेकिन जाना पड़ा. जैसे भगवान रामजी का मन नहीं था खरदूषण का वध करना, लेकिन उस ने इतना उत्पात मचा दिया कि उन्हें करना पड़ा. मेरी भक्ति को नकली कहा जा रहा है. मुझे लोग जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं.'

दरअसल अभिनव अरोड़ा के पिता तरुण अरोड़ा ने पहले आइसक्रीम कंपनी खोली, कंपनी फेल हो गई तो दूसरा बिजनैस किया, वह भी फेल हो गया तो अपने बच्चे अभिनव अरोड़ा पर दांव खेला. उन्होंने उसे धर्म से पैसा कैसे कमाया जाता है, वह सिखाया. अब इस के चलते कई लोग अभिनव के पिता को कोसने लगे हैं कि वे अपने बेटे का इस्तेमाल कर रहे हैं. मगर इस में क्या गलत है? क्या यह काम बड़ेबड़े कथावाचक, अनिरुद्धाचारी बाबा बागेश्वर, देवकीनंदन वगैरह नहीं कर रहे? फिर कोस सिर्फ अभिनव को क्यों रहे हैं?

This story is from the November 2024 edition of Mukta.

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