
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडवांस इन लर्निंग के वाइस प्रोवोस्ट भरत एन. आनंद इसके लिए आसान-सा नियम बताते हैं: गलतियां महंगी न पड़ें और समय बच जाए. जिन कामों के लिए सटीक जानकारी की जरूरत होती है और जहां गलती करना महंगा पड़ता हो, वहां जनरेटिव एआइ (जेनएआइ) के इस्तेमाल को लेकर लोग ज्यादा सावधान रहेंगे. लेकिन जिन कामों को जेनएआइ अच्छी तरह कर सकता है, वहां कितना वक्त बचता है, वही इसे अपनाने में मदद करेगा.
This story is from the March 26, 2025 edition of India Today Hindi.
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भारत के सकल घरेलू-व्यवहार की थाह
अपनी तरह के इस पहले जनमत सर्वेक्षण ने भारतीयों की रोजमर्रा की आदतों, तौर-तरीकों और सामाजिक आचार-व्यवहार के बारे में किए कई चौंकाने वाले खुलासे

आखिर कितने सुरक्षित हैं हम
जीडीबी सर्वे में सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर अलग-अलग तरह की व्यापक चुनौतियां सामने आई हैं. हर समस्या के लिए अलग-अलग राज्य के स्तर पर उसी के मिजाज के अनुरूप समाधान की दरकार

मिट रहे हैं दायरे पर धीरे-धीरे
जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव को जायज मानने वालों की संख्या अब कम से कमतर होती जा रही है हालांकि जाति या धर्म से बाहर शादियों के प्रति अब भी रूढ़िवादिता हावी है

फिर उभरी दरारें
हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का एक धड़ा 17 मार्च को नागपुर के पुराने महाल मोहल्ले में इकट्ठा हुआ.

शराब से परहेज की पुकार
बर्फ से ढके गुलमर्ग का नजारा है. मौका है द एली इंडिया फैशन शो का, जिसमें दिल्ली के डिजाइनर शिवन और नरेश के परिधान—टोपियां, पैंट सूट, स्कीवियर और हां बिकिनी भी—प्रस्तुत किए गए.

महिलाओं की योग्यता और क्षमता पर संदेह
सर्वेक्षण में महिलाओं की स्थिति को लेकर चिंताजनक रुझान सामने आए जो बताते हैं कि उनकी क्षमता, योग्यता या अपेक्षित अधिकारों की धार को इस तरह कुंद किया गया कि वे पितृसत्तात्मक व्यवस्था के अनुरूप ही ढल जाएं

नए मुखिया के लिए तेज हुई माथापच्ची
तीन राज्यों में चुनावी जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पार्टी के नए अध्यक्ष की तलाश फिर तेज कर दी है, जो जगत प्रकाश नड्डा की जगह लेगा. भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल वैसे तो तीन वर्ष का ही होता है लेकिन 2019 में यह पद संभालने के बाद से नड्डा को एक के बाद एक विस्तार मिलते रहे.

पंथिकों में उथलपुथल
सिख धर्म की तीन प्रमुख राजनैतिक-धार्मिक संस्थाओं—अकाल तख्त, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) - में बीते चार महीनों से उथलपुथल मची है. यह सांस्थानिक खलबली ऐसा खतरनाक शून्य पैदा कर सकती है जिससे विशेषज्ञों की राय में पंजाब के सामाजिक-राजनैतिक परिदृश्य पर कट्टरपंथी तत्वों के हौसले बढ़े सकते हैं.

समावेशिता की तरफ बढ़ते कदम
कई राज्यों से मिले आश्चर्यजनक निष्कर्ष खासकर धर्म और रोजगार जैसे मामलों में पुरानी विभाजनकारी सोच में बदलाव की तरफ इशारा करते हैं. हमारे समुदायों के सबसे उदार लोग देश के हर कोने में मिल जाएंगे

जन का विश्वास जीतने की जंग
सार्वजनिक सुरक्षा के सर्वेक्षण से पता चलता है कि राष्ट्र न तो पूरी तरह से महफूज है और न ही एकदम बेचैन. इसके बजाए यह आत्मविश्वास और चिंता की मिली-जुली स्थिति में उलझा हुआ