Akhand Gyan - Hindi - January 2021
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Akhand Gyan Hindi Jan 2021
वानर-साधकों की खोज-यात्रा!-(रामचरितमानस से व्यक्तित्व-निर्माण के सूत्र!)
एक खिलाड़ी को दौड़ते हुए दो तरह के स्वर सुनाई देते हैं। एक स्वर नकारात्मक होता है, उसके आलोचकों का! दूसरा स्वर सकारात्मक होता है, उसके मार्गदर्शक का! किस स्वर को तूल देनी है, यह खिलाड़ी का निर्णय होता है।
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बरगद वृक्ष से एक इंटरव्यू!
मेरे अनेकानेक नाम हैं- अच्युतावास, अवरोहशाखी, अवरोही, कलापी, कलिंग, जटाल, जटी, ध्रुव, न्यग्रोध, नंदी, वट, बड़, बोधि, भूकेश,शृंगी... महात्मा बुद्ध ने मेरी छांव तले आत्म-बोध पाया, इसलिए मुझे 'बोधि वृक्ष' भी नाम दिया गया। मेरी भव्यता के कारण भारतीय मुझे वट वृक्ष या वृक्षराज कहकर बुलाते रहे हैं।
1 min
दिव्य अनुभूतियाँ-अलौकिक संदेश!
तेरा मेरा मनुवां कैसे एक होइ रे... मैं कहता हौं आँखन देखी, तू कहता कागद की लेखी।
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आओ, संकल्प लें!
आओ, हम संकल्प लें कि हम सभी श्री गुरु महाराज जी के शिष्य, उनके आदर्शों और आज्ञाओं को भूल से भी नहीं भूलेंगे। हर श्वास में सतर्क रहेंगे। ताकि, किसी भी फिसलन भरे मोड़ पर हम डिगे नहीं।
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बॉडी लैंग्वेज- सांकेतिक भाषा!
अध्ययनों व शोधों द्वारा यह पाया गया कि सामने वाले व्यक्ति पर हमारे शब्दों और लहजों का प्रभाव 45% होता है, जबकि बॉडी लैंग्वेज का प्रभाव 55% होता है। कहने का मतलब कि हम बिना कुछ बोले ही बहुत कुछ कह जाते हैं।
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कभी-कभी ऐसा भी करना चाहिए...
जीवन में सुलझी राहें हों या उलझे मोड़अपनी सकारात्मकता पर नकारात्मक सोच को, उत्साह पर निराशा को, जिन्दादिली पर बुजदिली को हावी करने में हमेशा हार जाना! पूरी तरह हार जाना!
1 min
Akhand Gyan - Hindi Magazine Description:
Editor: Divya Jyoti Foundation
Categoría: Religious & Spiritual
Idioma: Hindi
Frecuencia: Monthly
Akhand Gyan is a monthly spiritual magazine of Divya Jyoti Jagrati Sansthan. With a new rainbow collection every month, it encapsulates more than 60 versatile shades of write-ups, such as: Corporate Spirituality, Personality Bytes, Healing Herbs, Vedic-o-logy, Grooming Relationships, Self-Analysis Zone, Kindergarten, and many more. It provides deep insight into the solutions of problems prevailing in life and society today, with a comprehensive outlook from spiritual, scientific and philosophical perspectives. Akhand Gyan is available in three languages: English, Hindi and Punjabi, all with unique and inspirational contents.
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