Kadambini - August 2020Add to Favorites

Kadambini - August 2020Add to Favorites

Obtén acceso ilimitado con Magzter ORO

Lea Kadambini junto con 9,000 y otras revistas y periódicos con solo una suscripción   Ver catálogo

1 mes $9.99

1 año$99.99 $49.99

$4/mes

Guardar 50%
Hurry, Offer Ends in 11 Days
(OR)

Suscríbete solo a Kadambini

comprar esta edición $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Regalar Kadambini

En este asunto

Kadambini, HT Media’s monthly socio-cultural literary magazine has a legacy of more than 51 years old. Its first editor was Late Shri Balkrishna Rao, a prominent Hindi writer. Following him many well known literary figures like Late Shri Ramanand Doshi, Shri Rajendra Awasthy, Ajenya, Mahadevi Verma & Kunwar Narayan have contributed immensely to the magazine taking it to unscalableheights.Known for its quality content, Kadamini has becomeindispensible with evolved and discerning reader who yearns forsomething ‘intelligent’ to read. It covers a wide range of subjects including literature, art, culture, science, history,sociology, films and health giving fresh perspectives on them to its readers.

कब मिलेगी सामाजिक संघर्ष से आजादी

राजनीतिक रूप से हम तिहत्तर साल पहले आजाद हो गए हैं। लेकिन क्या सिर्फ राजनीतिक रूप से आजाद हो जाना ही मुकम्मल आजादी है। सबसे बड़ी बात, क्या हम अपनी सोच में आजाद हुए हैं? क्या सामाजिक आजादी भी हमारे लिए उतने ही मायने रखती है, जितनी राजनीतिक

कब मिलेगी सामाजिक संघर्ष से आजादी

1 min

समझने होंगे आजादी के मायने

आजादी के इतने वर्षों में हमने आजादी के बहुत-से रूप देखे हैं और देख रहे हैं। रूप चाहे कोई भी हो, लेकिन आजादी के असल मायने समझने अभी बाकी हैं। इतनी लंबी यात्रा में हम इतने अनुभवी तो हुए ही हैं कि यह उम्मीद कर सकें कि हम आजादी के असली मायने समझ सकेंगे

समझने होंगे आजादी के मायने

1 min

..ताकि खुली सांस ले सके बचपन

इनसान की जिंदगी का सबसे खूबसूरत पड़ाव बचपन होता है। वही बचपन आज खतरे में है। उसकी आजादी खतरे में है। इसे बचाना जरूरी है। हमें इसे भाषणों से बाहर निकालना होगा। हमें बच्चों को केंद्र में रखकर नीतियां और बजट बनाने होंगे। यह बेहद जरूरी है

..ताकि खुली सांस ले सके बचपन

1 min

चंद लोगों की आंखों का नूर नहीं

आजादी तीन शब्दों का नामभर नहीं है। आजादी चंद लोगों की आंखों की रोशनीभर नहीं है। आजादी मुट्ठीभर लोगों के पेट की भूख नहीं है। आजादी पूरे देश की है। आजादी, तब तक संपूर्ण आजादी नहीं है, जब तक कि वह पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक न पहुंचे। पड़ाव-दर-पड़ाव तय करती हुई हमारी आजादी कहां तक पहुंची है, यह देखने और समझने की बात है

चंद लोगों की आंखों का नूर नहीं

1 min

आजादी के पड़ाव

73 साल! कम नहीं होते इतने साल। एक भरी-पूरी जिंदगी कही जा सकती है। अगर बात किसी इनसान की उम्र की हो तो! लेकिन बात जब किसी देश की हो, उसकी आजादी की हो तो...?

आजादी के पड़ाव

1 min

सांप्रदायिकता से मुक्त भारत

आजादी मिलने और विभाजन के बाद सोचा गया था कि इस देश में सांप्रदायिक मसले शायद नहीं रहेंगे और हमारा देश प्रेम, सौहार्द के रास्ते पर आगे बढ़ेगा, पर इस काम में सफलता मिलने के बजाय हम लगातार विफल होते दिखाई दिए हैं। सांप्रदायिकता से मुक्ति की राह में अभी काफी शिद्दत से काम किए जाने की जरूरत है

सांप्रदायिकता से मुक्त भारत

1 min

हमारी सीमाएं एक चुनौती हैं

आज वैश्विक स्तर पर दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। इस बदलते परिवेश में राजनीतिक-आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामरिक रूप से ताकतवर होना किसी भी देश को बहुत जरूरी है। हमारे सामने भी यह चुनौती है। एक तरफ पाकिस्तान, तो दूसरी तरफ चीन हमें लगातार चनौती दे रहे हैं। हमें न केवल इनसे निपटना है, बल्कि विश्व पटल पर खुद को मजबूती से पेश भी करना है। देखनेवाली बात यह है कि हम इसके लिए कितना तैयार हैं

हमारी सीमाएं एक चुनौती हैं

1 min

गरीबी ही गुलामी

गरीब आज भी गुलाम हैं, अपनी गरीबी के आजादी के बाद हुए हर चुनाव में गरीबी हटाओ का नारा लगता है, लेकिन गरीब और गरीबी हटती ही नहीं। अंतिम आदमी आज भी अंतिम पायदान पर खड़ा है। देखना है कि कब वह आगे आकर सही मायनों में आजाद होता है -

गरीबी ही गुलामी

1 min

हम क्यों खफा-खफा से है।

इन तिहत्तर वर्षों में हमने बहुत कुछ पाया है। बहुत कुछ पाना बाकी है, लेकिन इस पाने के बीच हमें बहुत सारी चीजों से मुक्ति पाना भी बाकी है। ये वे बाधाएं हैं, जो हमारी असली आजादी के बीच बाधक है।

हम क्यों खफा-खफा से है।

1 min

चुनावी राजनीति में जकड़ी आजादी

संसार का सबसे बड़ा लोकतंत्र हमारी आजादी का खूबसूरत पहलू है। लेकिन चुनावी राजनीति इसे चुनौती दे रही है। चुनावी राजनीति के बनते-बिगड़ते गठजोड़ ने जहां हमारे लोकतंत्र को परिपक्व बनाया है, तो कुछ सवाल भी खड़े किए हैं

चुनावी राजनीति में जकड़ी आजादी

1 min

Leer todas las historias de Kadambini

Kadambini Magazine Description:

EditorHT Digital Streams Ltd.

CategoríaCulture

IdiomaHindi

FrecuenciaMonthly

Kadambini, HT Media’s monthly socio-cultural literary magazine has a legacy of more than 51 years old. Its first editor was Late Shri Balkrishna Rao, a prominent Hindi writer. Following him many well known literary figures like Late Shri Ramanand Doshi, Shri Rajendra Awasthy, Ajenya, Mahadevi Verma & Kunwar Narayan have contributed immensely to the magazine taking it to unscalableheights.Known for its quality content, Kadamini has becomeindispensible with evolved and discerning reader who yearns forsomething ‘intelligent’ to read. It covers a wide range of subjects including literature, art, culture, science, history,sociology, films and health giving fresh perspectives on them to its readers.

  • cancel anytimeCancela en cualquier momento [ Mis compromisos ]
  • digital onlySolo digital