Samay Patrika - September 2020Add to Favorites

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समय पत्रिका के इस अंक में हमने कुछ ख़ास किताबों की चर्चा की है। 'इकिगाई' पुस्तक दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। कारण है इसमें लिखी बातें। बुढ़ापे में भी स्वस्थ रहकर जीवन जीने की कला पर आधारित यह पुस्तक कहती है कि जापानी भाषा में रिटायर शब्द के लिए कोई भी शब्द नहीं है। जैसे अंग्रेज़ी में एक उम्र के बाद नौकरी या काम बंद करने के लिए ‘रिटायरमेंट’ शब्द है, वैसा कोई शब्द जापानी भाषा में नहीं है। जापानी लोग 'इकिगाई' के रहस्य को जानते हैं। यह किताब वही रहस्य बताती है। अच्छे शोध के बाद यह पुस्तक तैयार हुई है जिसे पढ़ा जाना जरुरी है।
वरिष्ठ लेखक डॉ. लक्ष्मीनारायण गर्ग की नई पुस्तक 'शिखंडी' चर्चा में है। यह उपन्यास प्राचीन युग की नारी के जीवन पर आधारित है, जो वर्तमान युग की नारी को उसकी स्वतंत्रता, उसके अधिकार और स्वाभिमान की रक्षा करने हेतु संघर्ष करने का संदेश व प्रेरणा देती है। वहीं समय पत्रिका के अंक में रवीश कुमार की बेस्टसेलर किताब 'बोलना ही है' पर उनके विचार पढ़ें।
हम बात करेंगे युवा लेखक प्रवीण कुमार झा की इ-बुक्स के बारे में। यह वही लेखक हैं जिन्होंने गहन शोध के बाद 'कुली लाइंस' लिखी थी जिसमें प्रवासी भारतीयों पर विस्तार से लिखा गया है।
मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने 'मुग़ल-ए-आज़म' फ़िल्म पर एक ख़ास किताब प्रकाशित की है। इस किताब की चर्चा भी इस अंक में शामिल है।
साथ में पढ़ें नई किताबों की चर्चा।

शिखंडी अंबा के प्रतिशोध की गाथा

काशी नरेश द्वारा आयोजित अपनी तीन बेटियों के स्वयंवर-स्थल में से उनका हरण करने पर उनकी सबसे बड़ी बेटी अंबा अपने हरणकर्ता भीष्म के विरुद्ध परशुराम से युद्ध का कारण बनी।

शिखंडी अंबा के प्रतिशोध की गाथा

1 min

बोलना ही है लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में

मेरा बोलना और उसे साहस के फ्रेम में देखा जाना ये सब 2014 के बाद की परिस्थितियों की मेहरबानी है। 2014 के बाद राजनीति की हवा बदल गई। सरकार की आलोचना को देश की आलोचना बताया जाने लगा।

बोलना ही है लोकतंत्र, संस्कृति और राष्ट्र के बारे में

1 min

मुग़ल-ए-आज़म के पीछे की दिलचस्प कहानी

दास्तान-ए-मुग़ल-ए-आज़म

मुग़ल-ए-आज़म के पीछे की दिलचस्प कहानी

1 min

दस क्लासिक हिंदी फ़िल्मों के निमणि की असाधारण यात्रा

भारतीय फ़िल्मों के इतिहास में क्लासिक हिंदी फ़िल्मों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। इन फ़िल्मों को बने कई दशक बीत चुके हैं, पर आज भी उनका जादू क़ायम है या यूँ कहिए कि उनका महत्त्व और लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है।

दस क्लासिक हिंदी फ़िल्मों के निमणि की असाधारण यात्रा

1 min

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EditorSamay Patrika

CategoríaFiction

IdiomaHindi

FrecuenciaMonthly

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