Rishi Prasad Hindi - December 2024
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En este asunto
* Bhagavad Rasa is Blissful!
* Source of Health, Spirituality, Environmental Protection, and Salvation
* Why Do Brahmavetta saints go to places of pilgrimage?
* Protect the Saints, and Your country will become free from troubles.
* An embodiment of Social Service and Sympathy for Sufferers
* Even the British acknowledge the significance of Tulsi
* Makar Sankranti: A Festival of Bathing, Charity, Health, Harmony, and Growth
* Inspirational Reminiscences of Gurudev
* Imparting Spiritual Wisdom with Humour
* The enjoyment of an object or wealth never satisfies desire.
* Pujya Bapuji’s Message to Karmayogi Virtuous Souls
* Nothing is impossible for a man of courage and determination.
* Gold and Bronze Medals Won at International Level
* These Virtues Will Reform the Lives of the Youth
* The hobby of keeping dogs and cats invites the threat of serious illnesses.
* Panchakosha Witness: Removal of Doubts – Swami AkhandÍnanda
* Fundamental Facts of Indian Culture
* The Vow that removes all sins and gives all desired objects like a son, and others.
* Diwali celebrated with the lamps of Knowledge and Service
* Janu Shirshasana / Samadhi Asana
* Best Herbs for increasing Strength, Intelligence, and Longevity
* For Stronger Teeth and a Sturdy Body
* May every household benefit from service, sadhana, and get protection
* The pleasure of meat-eating invites serious diseases
* Pujya Bapuji teaches Useful tips for everyday life
भगवद्रस ऐसा सुखदायी है!
रामायण में शिवजी बोलते हैं : उमा राम सुभाउ जेहिं जाना । ताहि भजनु तजि भाव न आना ॥ (रामचरित. सुं.कां.: ३३.२)
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आरोग्य, अध्यात्म, पर्यावरण रक्षा व सद्गति का अमृतस्रोत
हर मनुष्य चाहता है : (१) शारीरिक स्वास्थ्य (२) मानसिक स्वास्थ्य (३) बौद्धिक विकास (४) आर्थिक सम्पन्नता (५) आध्यात्मिक उन्नति (६) पारिवारिक सुख-शांति (७) सद्गति, मोक्ष या पारलौकिक ऊँची गति।
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ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"
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संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
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समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
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मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
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पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
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हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
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कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
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पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
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पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
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Rishi Prasad Hindi Magazine Description:
Editor: Sant Shri Asharamji Ashram
Categoría: Religious & Spiritual
Idioma: Hindi
Frecuencia: Monthly
Started in 1990, Rishi Prasad has now become the largest circulated spiritual monthly publication in the world with more than 10 million readers. The magazine is a digest of all thought provoking latest discourses of His Holiness Asharam Bapu on various subjects directing simple solutions for a peaceful life. The magazine also features news on happenings at various ashrams in past month, inspirational texts from scriptures/legends , practical tips for healthy day-to-day living balancing materialism by idealism, Bapuji's answers to questions raised by seekers, disciples's experiences etc.
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