परिचय: भारत लकड़ी के पेड़ की प्रजातियों की एक समृद्ध विविधता का दावा करता है, जो निर्माण, फर्नीचर बनाने और हस्तशिल्प जैसे विभिन्न उद्योगों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पेड़ अलगअलग विशेषताओं के साथ मूल्यवान लकड़ी प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें बाजार में अत्यधिक मांग होती है। यह लेख भारत की व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण लकड़ी के पेड़ की प्रजातियों में प्रवेश करता हैए विभिन्न उद्योगों में उनकी अनूठी विशेषताओं, अनुप्रयोगों और महत्व की खोज करता है।
1. सागौन (टेक्टोना ग्रैंडिस) टिम्बर्स का राजा: सागौन, जिसे "टिम्बर्स के राजा" के रूप में जाना जाता है, अपने असाधारण गुणों के कारण लकड़ी उद्योग में एक प्रमुख स्थान रखता है। यह अत्यधिक टिकाऊ है, दीमक और कवक क्षय के लिए प्रतिरोधी है, और सुंदर अनाज और बनावट प्रदर्शित करता है। सागौन की लकड़ी उच्च गुणवत्ता वाले फर्नीचर, फर्श, नाव निर्माण और सजावटी वेनर के निर्माण में व्यापक उपयोग पाती है। इसके प्राकृतिक तेल और उच्च सिलिका सामग्री इसे बाहरी अनुप्रयोगों और समुद्री वातावरण के लिए उपयुक्त बनाती है।
2. साल (शोरिया रोबस्टा): भारतीय वनों का दिग्गज साल, भारतीय जंगलों के दिग्गज, एक मजबूत लकड़ी का पेड़ है जो देश भर में व्यापक रूप से वितरित किया जाता है। इसकी लकड़ी टिकाऊ, मजबूत और कीटों और क्षय के लिए प्रतिरोधी है। बीम, पोस्ट और रेलवे स्लीपर के निर्माण में साल की लकड़ी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यह फर्नीचर बनाने, फर्श और प्लाईवुड उत्पादन में भी आवेदन पाता है। इसके अतिरिक्त, साल राल का उपयोग वार्निश और लाह के निर्माण के लिए किया जाता है।
Esta historia es de la edición January 15, 2024 de Modern Kheti - Hindi.
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बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन
बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना।
सूचना संचार एवं कृषि विकास
यदि भारत को खुशहाल बनाना है, तो गांवों को भी विकसित करना होगा। आज सरकार ग्रामीण विकास, कृषि एवं भूमिहीन किसानों के कल्याण पर ज्यादा जोर दे रही है। इसलिये यह क्षेत्र बेहतरी की दिशा में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता वर्तमान सरकार की पहचान बन गए हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये परम्परागत तरीकों से हटकर 'आउट-ऑफ-बॉक्स' पहल की गई है।
जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान
मशरूम की दुनिया में 'माइसीलियम' एक ऐसा तत्व है जो कई खाद्य, पोषण और औद्योगिक क्रांतियों का आधार बन रहा है। यह मशरूम के जीवन चक्र का वह हिस्सा है जो अदृश्य होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं
भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती करते हैं। जो लोग खेती करते हैं, उन्हें हम अन्नदाता कहते हैं और हर एक किसान की यह इच्छा होती है कि उसकी फसल बहुत अच्छी हो और उसे लाभ की प्राप्ति हो जिससे वह अपनी पूरी लागत निकाल सकें।
बीज कानून अथॉर्टी लैटर
“Study of Seed Laws is not a problem but an opportunity to understand how legally we are soung”
लोगों के स्वास्थ्य पर दूध में मौजूद एंटीबायोटिक अवशेषों का प्रभाव
दूध की बढ़ती मांग ने उत्पादकों को व्यापक पशुपालन प्रथाओं को अपनाने के लिए मजबूर किया है। डेयरी पशुओं में विभिन्न रोग स्थितियों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा दवाओं का उपयोग इस तरह के व्यापक पशुपालन प्रथाओं का अभिन्न अंग बन गया है।
फल-सब्जियों के स्टोर के लिए एलईडी आधारित तकनीक
आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं ने मिलकर किसानों के लिए अपनी उपज अधिक समय तक स्टोर करने के लिए एक तकनीक का विकास किया है। यह एलईडी लाईट-आधारित भंडारण तकनीक है। दावा किया जा रहा है कि यह तकनीक फल और सब्जियों को सड़ने से लंबे समय तक बचाए रखती है, जिससे किसान अपनी उपज की शेल्फ लाइफ बढ़ा सकते हैं।
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन कैसे करें?
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन, हमारे देश में गेहूं, धान के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। भारत में आज कुल 8.59 करोड़ टन से अधिक गेहूं का उत्पादन हो रहा है। गेहूं की औसत उत्पादन 28.0 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, जो कि अनुसंधान संस्थानों के फार्मों पर प्राप्त तथा नई किस्मों की उत्पादन क्षमता 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से अत्याधिक कम है।
टिड्डी दल के हमले का हो सकेगा पूर्व अनुमान
रेगिस्तानी टिड्डा (शिस्टोसेरका ग्रेगेरिया) खेती के लिए सबसे खतरनाक प्रवासी कीटों में से एक है, जिससे कई क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिए इसका नियंत्रण जरुरी हो गया है।
आय दोगुनी करने में कृषि तकनीकी सूचना तंत्र का योगदान
आज किसानों को समय-समय पर नई कृषि तकनीकों की जानकारियां देश में इंटरनेट, दूरदर्शन या मोबाइल फोन का कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है।