मांग व निर्यात को देखते हुए धान की पैदावार में प्रति एकड़ बढ़ोतरी करना आवश्यक है जिसके लिए जरूरी है कि धान की पौध लगाने से लेकर रोपाई तक महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान दिया जाये । कृषि उत्पादन के लिए अकुशल दोहन, असंतुलित उर्वरक प्रयोग खेतों की मिट्टी का स्वास्थ्य खराब करता जा रहा है। धान की पैदावार बढ़ाने के लिए उर्वरकों का संतुलित प्रयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। इसके लिए जरूरी है कि किसान भाई उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग न करें व किस्मों के अनुसार व अवधि के अनुसार उर्वरक प्रयोग संतुलित मात्रा में ही करें (तालिका 1:)
उर्वरक प्रयोग का समय व ढंग
बौनी किस्मों के लिए फास्फोरस, पोटाश, नाईट्रोजन की 1/3 मात्रा गारा बनाने से पहले पोर दें। नाईट्रोजन की शेष मात्रा दो बराबर हिस्सों में रोपाई के 3 व 6 सप्ताह बाद प्रयोग करें। बासमती धान में भी इसी प्रकार व इसी समय उर्वरक प्रयोग करें। ध्यान रखें कि नाईट्रोजन उर्वरक प्रयोग करते समय खेतों में पानी न खड़ा हो। खड़ी फसल में यूरिया का प्रयोग शाम के समय करें ताकि अधिक तापमान पर यूरिया घुल कर नष्ट न हो।
धान में पोषक तत्वों की कमी के लक्ष्ण
नाईट्रोजन- नाईट्रोजन की कमी से धान के पौधे पीले, कमजोर व बौने नजर आते हैं। फुटाव कम हो जाता है। पत्तियों की संख्या भी कम हो जाती है। इसकी कमी नीचे की पुरानी पत्तियों में पहले दिखाई देती है। पत्तियां बाद में पीली हो जाती हैं और बहुत कम होने पर गिर जाती हैं। धान की उपज में कमी आ जाती है, लेकिन हरियाणा में प्रायः नाईट्रोजन का अत्याधिक प्रयोग किया जाता है इसलिए हरियाणा में प्रायः नाईट्रोजन की कमी बहुत कम दिखाई देती है।
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कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
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आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
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जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
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