मायरा ने अपना स्कूल बैग रखा और मां को इधरउधर ढूंढ़ने लगी.
"अरे, मायरा, मैं यहां हूं, यह देखो," मां ने गुलाब के फूलों का गुलदस्ता सजाते हुए कहा.
"मैं स्कूल से आ गई हूं, मुझे पहला स्थान मिला है. मेरा पुरस्कार देखो ."
"अरे, वाह, हमारी मायरा को प्रथम पुरस्कार, ' "" मां उस की ट्रौफी देख कर उस की सराहना करते हुए बोली.
"अब मुझे समोसा खिलाने ले चलो, आप ने कहा था कि अगर मुझे पहला पुरस्कार मिला तो आप मेरा मनपसंद इनाम दोगी, " मायरा चहकती हुई बोली.
"अच्छा, मायरा, पर कल रविवार था और समोसा तो कल ही खाया है न बेटी," मां ने उसे याद दिलाया.
"हां मां, कल तो खाया है लेकिन आज तो इनाम वाला खाना है, है न," मायरा ने पूछा.
"ठीक है मायरा, हम शाम को समोसा खाने " चलेंगे," मां ने हामी भरी.
"एकदम बढ़िया. मैं बहुत उत्साहित हूं," मायरा मैं ने कहा.
7 साल की मायरा का समोसा प्रेम कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था. पिछले एक महीने से उसे लगभग हर दिन समोसा खाने का ही मन करता था.
वादे के मुताबिक शाम को समोसा खा कर मायरा और उस की मां लौट रही थी, तो मायरा की नजर दूर से ही घर की पिछली दीवार पर लगे गुलाब के झाड़ पर पड़ी, "मां, इन गुलाब के गुच्छों को देखो."
"हां मायरा, आज ही खिले हैं ये सब," मां ने सहमति व्यक्ति की.
"ऐसा लग रहा है कि मेरी लाल फ्रौक उलटी लटक रही है," मायरा ने कहा.
"अरे, यह बिलकुल सच है मायरा," मां ने सहमति जताई.
मायरा और उस की मां दोनों दीवार के पास आ गईं.
"वाह मां, इस बरतन के आकार को देखो," मायरा ने गुलाब के विशाल बरतन को दिखाते हुए कहा. मां ये झाड़ी तो पड़ोस के तनेजा अंकल के घर पर चली गई, "वह देखो, गुच्छे भी उधर की तरफ लटक रहे हैं."
"अरे, हां सचमुच मायरा, गुलाब कितने खूबसूरत हैं."
दोनों ने कुछ देर तक गुलाब के फूलों की खूबसूरती का आनंद लिया, उस के बाद मां और मायरा अपने काम में व्यस्त हो गईं.
अगले दिन मायरा स्कूल गई थी तो मां ने डाक्टर के पास जा कर सलाह ली कि मायरा की समोसे की इच्छा कैसे कम की जाए?
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