उस का भाई रोबिन इतनी आसानी से दूर जाने वाला से नहीं था, मतलब कि पीछा नहीं छोड़ रहा था. उस ने कहा, "लेकिन तुम मेरी बड़ी बहन हो, इसलिए तुम्हें मेरी मदद करनी चाहिए. यह तुम्हारा कर्तव्य है."
“नहीं, अपना होमवर्क करना तुम्हारा कर्तव्य है, मेरा काम अपना होमवर्क करना है,” वह गुस्से में बोली.
“लेकिन सभी बड़े भाईबहन अपने छोटे भाईबहनों की मदद करते हैं,” रोबिन ने दृढ़ता के साथ कहा.
अनिका ने आंखें गोलगोल घुमाईं, "हां, वे मदद करते हैं, लेकिन तुम बहस कर रहे हो और बेतुकी बातें जैसे, 'क्यों नहीं,' 'इस के बारे में क्या,' 'वह कैसे हो सकता है,' पूछ कर मेरा समय बरबाद करते हो?”
रोबिन की आंखों में आंसू आ गए, "लेकिन मैं समझ नहीं पाता हूं. इसीलिए पूछता हूं."
यह सुन कर अनिका ने अपनी किताब बंद की और गहरी सांस ली, "ठीक है, जल्दी बोलो, तुम क्या जानना चाहते हो?” उस ने बड़ी बहन वाली टोन में कहा.
रोबिन मुसकराया और उस ने अपने नोट्स खोले, “तो बताइए, भारत का संविधान दिवस क्या है?”
अनिका उस पर आंखें तरेर कर बोली, “क्या तुम अपनी पाठ्यपुस्तक में इस चैप्टर को नहीं पढ़ सकते?”
रोबिन ने अपना सिर खुजलाया.
"हां, ठीक है,” अनिका ने कहा, "भारत को 15 अगस्त, 1947 में अंग्रेजों से आजादी मिली. इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, इसे तुम जानते हो, है न?”
रोबिन ने हां में सिर हिलाया.
अनिका ने एक पल सोचा और फिर कहा, "तुम्हें बोर्ड गेम खेलना पसंद है, है न?”
रोबिन खुशी से उछल पड़ा, "हां, क्या तुम लूडो खेलना चाहती हो?"
"नहीं, मैं जो कहना चाहती हूं वह यह है, जब तुम लूडो या कोई अन्य खेल खेलते हो तो नियमों द्वारा इन्हें खेलते हो, क्या तुम ऐसा नहीं करते हो?” अनिका ने कहा.
रोबिन ने सिर हिलाया.
“किसी भी खेल के साथ हमेशा एक निर्देश पुस्तिका दी जाती है, जिस में निर्देश और नियम होते हैं, जो तुम्हें बताती है कि ऐसा करो और ऐसा मत करो," अनिका ने कहा. “और सभी को उन नियमों का पालन खेल को सही ढंग से खेलने के लिए करना पड़ता है."
रोबिन ने फिर अपना सिर हिलाया.
Esta historia es de la edición November Second 2023 de Champak - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición November Second 2023 de Champak - Hindi.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.