"कैसी हो गुप्पी? क्या कर रही हो?” कोको ने पूछा.
“कोको, आज मैं बहुत खुश हूं. मैं ने सर्दियों के लिए काफी मेवे इकट्ठे कर लिए हैं. अब चाहे मौसम कितना भी खराब क्यों न हो, कितनी भी ठंड क्यों न पड़े मैं आराम से घर में बैठ कर इन्हें खा सकत हूं,” गुप्पी ने मुसकराते हुए कहा.
"इस का मतलब तुम इन सर्दियों में भी मेरे पास नहीं आ रही हो. कितनी बार कहा है कि दिल्ली की सर्दी में मत ठिठुरती रहा करो, चैन्नई आ जाओ, यहां का मौसम बहुत प्यारा है. वैसे भी तुम्हें देखे हुए कितने दिन हो गए हैं, यदि इस बार तुम नहीं आई तो मैं तुम से कभी बात नहीं करूंगी,” कोको ने नाराज होते हुए कहा.
“अच्छा ठीक है, तुम नाराज न हो. मैं इन सर्दियों में तुम्हारे पास आने का प्रोग्राम बनाती हूं,” गुप्पी बोली.
“हुर्रे,” कोको खुशी से चिल्लाई.
गुप्पी ने चैन्नई जाने की तैयारी शुरू कर दी. जैसे ही सर्दी शुरू हुई, वह अपना सामान ले कर चैन्नई के लिए निकल पड़ी.
स्टेशन उस के घर से काफी दूर था. वह स्टेशन पहुंचने ही वाली थी कि उस ने सोचा, 'चैन्नई में तो सर्दी नहीं होगी, वहां मेवा खाना ठीक नहीं रहेगा, वह मेवे का पैकेटे बेकार लाद कर लाई. अब यदि इसे घर रखने जाऊंगी तो ट्रैन छूट जाएगी, क्यों न इसे यहीं कहीं छिपा दूं, लौटते समय ले जाऊंगी.'
उस ने चारों ओर नजर दौड़ाई. एक जगह उसे 3-4 ऐसे पेड दिखाई दिए, जिन में एक भी पत्ता नहीं था, केवल टहनियां ही थीं.
‘इन पेड़ों को पहचानने में मुझे आसानी होगी, ' उस ने सोचा और उन में से एक पेड़ के नीचे जमीन खोद कर मेवे का पैकेट छिपा दिया. पहचान के लिए उस पेड़ की एक डाली पर उस ने अपना नीला रिबन बांध दिया.
“बच्चो, तुम इस तने को क्यों छील रहे हो?” गुप्पी ने पूछा.
"हम इस पर अपना नाम लिख रहे हैं, हमारी शर्त लगी है, जो सब से पहले नाम लिखेगा, वही फर्स्ट आएगा,” चूहों ने बताया.
“तुम्हारे खेल के चक्कर में इस पेड़ को कितनी तकलीफ होगी, यह सोचा है तुम ने? पेड़पौधों में भी जान होती है और पेड़ का हर भाग महत्त्वपूर्ण होता है, बिना जरूरत तुम्हें पेड़ के किसी भी भाग को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए,” गुप्पी ने उन्हें समझाया तो वे वहां से भाग गए.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.