अंकिता भंडारी मर्डर बाप की सियासत के बूते बीटा करे जरायम
Manohar Kahaniyan|November 2022
बाप की सियासी ताकत के बल पर जिस्मफरोशी करने वाले बेटे पुलकित आर्य ने अपने रिजौर्ट की रिसैप्शनिस्ट अंकिता को सैक्स और ड्रग्स की आग में धकेलने की कोशिश की. जब अंकिता ने विरोध जताया, तब उसे मौत की नींद सुला दिया. मर्डर के आरोप से बचाव के तमाम तरीके अपनाने के बावजूद वह न के तो खुद को बचा पाया और न ही बीजेपी के पूर्वमंत्री और उस के पिता खुद को बेपरदा होने से बचा पाए. पढ़िए अंकिता की हत्या की मर्मस्पर्शी कहानी....
जगदीश प्रसाद शर्मा 'देशप्रेमी'
अंकिता भंडारी मर्डर बाप की सियासत के बूते बीटा करे जरायम

अंकिता भंडारी महज 19 साल की थी. जितनी सुंदर, गोरीचिट्टी, उतनी ही आकर्षक. यौवन की दहलीज पर ग्लैमर और हंसमुख स्वभाव से लबालब. बातचीत में मधुर और आचरण से शालीन. वह जीवन में कुछ कर गुजरने का सपना लिए अपने घर से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर ऋषिकेश 28 अगस्त, 2022 को आई थी. वह पौड़ी गढ़वाल में श्रीकोटा पट्टी नादलस्यू की रहने वाली थी. घर में मांबाप और परिवार के अन्य सदस्य थे.

दरअसल, उसे गंगा भोगपुर स्थित वंतरा रिजौर्ट में 10 हजार रुपए पर रिसैप्शनिस्ट की नौकरी मिली थी. आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे परिवार वालों ने उसे खुशीखुशी घर से भेजा था. वे इस बात से थोड़े आश्वस्त और निश्चिंत थे क्योंकि उस के रहनेठहरने का इंतजाम रिजौर्ट में ही कर्मचारियों के बने कमरे में किया गया था.

अंकिता जल्द ही रिसैप्शनिस्ट का काम सीख गई थी. वहां आने वाले लोगों से बातें करते हुए रिजौर्ट की सुविधाओं के बारे में उन के पूछे गए सवालों के जवाब सलीके से देती थी. साथ ही वहां के सीनियर कर्मचारियों के साथ अनुशासित तरीके से पेश आती थी. सभी का आदर करती थी और वहां के कायदेकानून के बारे में भी जान गई थी.

इसी सिलसिले में उसे मालूम हो गया था कि यह रिजौर्ट किसी बड़े राजनेता का है. इस के मालिक कहने को तो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश के बड़े नेता और पूर्व मंत्री विनोद आर्य थे, लेकिन वह उन के बेटे पुलकित आर्य की देखरेख में चल रहा था.

उस का रिजौर्ट में अकसर आना होता था. उस के भाई को भी मौजूदा सरकार में राज्यमंत्री का दरजा मिला हुआ था और वह भाजपा में ओबीसी मोर्चे का पदाधिकारी भी था. अंकिता को वहां काम करते हुए एक सप्ताह बीत चुका था. उस के कामकाज पर 2 मैनेजर अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर नजर रखते थे. उन्हें अपने कामकाज की रोजाना रिपोर्ट देनी होती थी और उन के आदेशों का पालन करना होता था.

अंकित गुप्ता उस की हर गतिविधियों पर ध्यान देता था. काम में जरा सी चूक होने पर डांट देता था. सही तरह से काम करने के बारे में समझाते हुए आगे से गलती नहीं होने की हिदायत भी देता था.

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