राजस्थान में भरतपुर के एक राजकीय माध्यमिक स्कूल के मैदान में कबड्डी खिलाड़ी कल्पना अपनी फिजिकल टीचर मीरा का इंतजार कर रही थी. सूर्योदय में अभी वक्त था, लेकिन अंधेरा थोड़ा कम होने लगा था.
कल्पना ने एक ही जगह पर छोटेछोटे स्टेप के साथ जंपिंग, जौगिंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी. कुछ अन्य लड़कियां भी प्रैक्टिस के लिए मैदान में आने लगी थीं. उन के साथ दौड़ की प्रैक्टिस होनी थी. कुछ समय में ही मेन गेट से दौड़ लगाती हुई फिजिकल टीचर मीरा भी आती दिख गई.
वह जैसे ही कल्पना के पास आई, उस ने गुडमार्निंग मैडम कहा. मीरा पहले की तरह बोल पड़ी, "तुझे कितनी बार कहा है, मुझे मैडम मत बोल... कुछ और बोल लिया कर.
"तो सर बोलूं ?...हांहां, यही ठीक रहेगा, आप जेंट्स वाले कपड़े पहनती हैं इसलिए.' हाजिरजवाब कल्पना बोल पड़ी.
"अरे, तू कुछ भी बोल देती है. मैं तुम्हारी टीचर हूं." मीरा झेंपती हुई बोली.
"एक बात बोल्यूं, बुरा न मानियो मैडमजी ...अरे नहीं, सरजी. आप इन कपड़ों में ही जंचते हो. छोरे जैसे लगते हो." कल्पना मजाकिया अंदाज में बोली.
"चलोचलो, बहुत हो गया हंसीमजाक. आज मेरे साथ ग्राउंड के 4 फेरे लगाणी है. नैशनल कबड्डी में जीतना कोई मजाक ना होवे." मीरा बोली.
“जी.”
"तो फिर चल शुरू हो जा."
कुछ समय में दोनों स्कूल मैदान के किनारेकिनारे दौड़ने लगी थीं. पूरे 4 चक्कर के बाद वे आ कर एक जगह बैठ गईं. मीरा सांस लेती हुई बोली, "तन्ने प्रैक्टिस अच्छी की. दिल कहता है तू जरूर नैशनल चैंपियन बन जावेगी. स्कूल का नाम रौशन होवेगा..."
"और आप का ? आप की बदौलत ही तो मैं इस काबिल बन पाई हूं."
“अरे, तेरी भी तो मेहनत है. देख बाकी लड़कियों से तू कितनी जल्दी ट्रेंड हो गई.' मीरा बोली.
"कुछ भी कहो, आप एकदम से मर्दों वाली चाल में दौड़ लगाती हो. वह तो मैं दुबलीपतली हूं, इसलिए आप के साथ कदमताल मिला लेती हूं, लेकिन दूसरी मोटी कमर और भारी देह वाली लड़की आप के आगे कहां टिकती हैं."
"बात तो तुम सही कह रही हो, मुझे भी कई बार लगता है कि मैं एकदम से मर्द की तरह दौड़ रही हूं...फिर सोचती हूं कि साथ दौड़ने वाली लड़कियों के लिए यह अच्छा ही है. उन की प्रैक्टिस तो अच्छी हो जावेगी."
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