"बरसात के दिन जितने खूबसूरत होते हैं, उतने ही सिर दर्द की वजह भी बन सकते हैं। इसलिए अपने घर की अच्छी तरह से जांच करना जरूरी है, वरना परेशानियां बढ़ सकती है।" निलेश फोन पर अपने दोस्त साहिल को समझा रहा था, जिसे सुनकर उसकी पत्नी सरिता जोर से हंसी और बोली, "तुम भी निलेश, कुछ भी बोलते रहते हो ! अरे बारिश आने से भला एकदम से इतनी परेशानियां कैसे आ सकती हैं? हम या वह कोई झोपड़ी में थोड़ी न रह रहे हैं, पक्की छतों के मकान में हैं।” इस बात पर निलेश मुस्कुराया और बोला, “बारिश उत्साह के बीच ये छोटी-छोटी परेशानियां भी बड़ी हो जाती हैं, सरिता। ऐसे में बहुत जरूरी है कि हर कोई बरसात आने से पहले ही अपने घर का 'चेकअप' कर ले।" निलेश काफी हद तक सही कह रहा है। बरसात का मौसम घर में कई तरह की परेशानियों को जन्म दे सकता है। इसलिए अगर आप अपने घर की तरफ थोड़ा-सा ध्यान दें और घर का चेकअप कर उसे बरसात के मौसम के लिए तैयार करें तो इस खूबसूरत मौसम को आप सच में एंजॉय कर पाएंगी।
छत और नालियां
"पिछले साल बरसात में छत पर पानी इकट्ठा हो गया और मुझे पता भी नहीं चला। राहुल रोज छत पर टहलने जाता था और कुछ दिन बाद उसे डेंगू हो गया। बता नहीं सकती, मैं कितना परेशानी में आ गई!" मीनल ने अपनी सहेली सोनाक्षी से कहा। असल में, बारिश में अक्सर छत टपकने और नालियों में पानी रुकने की समस्या आने लगती है। इस वजह से छत पर पानी जमा हो जाता है, जिसमें मच्छर पनपने लगते हैं। ऐसे में मानसून से पहले ही आप घर की छत की स्थिति को जांच लें। अगर कोई दरार या क्षतिग्रस्त हिस्सा है तो उसकी मरम्मत करा लें। साथ ही देख लें कि छत, बालकनी और आंगन की नालियां साफ हों।
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।