बच्चों को किसी रिश्तेदार के घर लेकर जाना माता-पिता के लिए सबसे मुश्किल काम होता है, क्योंकि वहां वे न सिर्फ खाने को लेकर नखरे दिखाते हैं, बल्कि शरारतें भी करते हैं। इस वजह से कई बार पेरेंट्स को शर्मिंदा भी होना पड़ता है। इस स्थिति में मन में बस यही ख्याल आता है कि 'बेकार ही आ गए। इससे अच्छा तो घर पर ही रहते।' लेकिन आप थोड़ी-सी समझदारी दिखाकर और बच्चों में अच्छी आदतें डालकर उन्हें रिश्तेदारों के घर शरारतें करने से रोक सकती हैं।
■ शांति से समझाएं : अच्छी परवरिश का सबसे पहला नियम है, प्यार और शांति। आप जितना अधिक शांत भाव से अपने बच्चों की परवरिश करेंगी, बच्चे भी उतने ही सभ्य और आज्ञाकारी बनेंगे। जिन बच्चों के माता-पिता बातबात पर गुस्से में आ जाते हैं या कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट करते हैं, उनके बच्चे उनसे दूर हो जाते हैं और बातें छुपाने लगते हैं। आपके साथ ऐसा न हो, इसलिए अपने बच्चों को प्यार और शांति से सही-गलत का अंदर समझाएं।
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मन की साफ-सफाई
अचानक रीना ने गंभीर होते हुए कहा, \"मीता, मैं सोचती हूं, क्यों मन की सफाई भी कर लूं। आखिर भगवान जी हमारे दिल में ही तो विराजते हैं।\"
जहां देखो, बाल ही बाल
पेट्स दिन भर घर में दौड़-भाग करते हैं, इसलिए उनके बाल भी घर के हर कोने में नजर आते हैं, जिनकी सफाई आसान नहीं है।
याद रहे जन्मदिन पार्टी
आपके बच्चे का पहला जन्मदिन है। अगर आप इसे यादगार बनाना चाहत हैं तो आपको थीम से लेकर ढेर सारी तैयारियां करनी होंगी।
रिश्तों का 'डे आउट'
भाई-बहन के रिश्ते में शरारत होती है और होता है ढेर सारा प्यार। अगर ये सब पीछे छूट गया है तो आपको और आपके भाई को एक 'सिबलिंग डे आउट' की सख्त जरूरत है।
निखार नहीं और अगले महीने शादी!
जैसे-जैसे शादी के दिन नजदीक आ रहे हैं, आपका निखार मुरझा रहा है। आपकी चिंता बढ़ गई है और तनाव दोगुना हो गया है। जानकार कहते हैं कि ऐसी स्थिति में आपको प्राकृतिक तरीकों और एक सही ब्यूटी रूटीन पर भरोसा करना चाहिए।
मंद-मंद मुस्कुराती सर्दी में आप
सर्दी ने अपने पंख फैल लिए हैं। ठंड का अहसास होने लगा है। इस सुहावने मौसम में आपको जरूरत है अदरक वाली चाय की चुस्की और आरामदेह तथा स्टाइलिश लिबास की।
थोड़ी बोरियत भी अच्छी!
क्या आप भी कोई काम करते-करते बोर हो जाती हैं, तो अपने फोन की ओर हाथ बढ़ाने के बजाय खुद को बोरियत की भावना में डूबने दें। जानकार कहते हैं कि बोरियत के कुछ पल आपकी रचनात्मकता और कार्यक्षमता को अनलॉक करने में मदद कर सकते हैं।
खाते-पीते आधी रात
जब मन हुआ, कुछ खा लिया। जब मन हुआ, कुछ पी लिया। मन नहीं भरता। कभी-कभी तो आधी रात में भी खाने की तलब लगती है। लेकिन क्या आपके शरीर को भोजन की इतनी जरूरत है?
अस्तित्व की तलाश
फूल! जिनकी आयु सबसे छोटी है, वह भी जरा-सा स्नेह रस पाकर जीवंत रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं?
इस आदत को बदल डालें
कुछ लोग बहुत परिश्रमी होते हैं और अपने समय का सदुपयोग करने के लिए पूरे दिन व्यस्त रहते हैं। लेकिन कहीं यह व्यस्तता आपकी आदत तो नहीं बन गई है?