श्रेया हाल ही में हुई अपनी फ्रेंड की बर्थ-डे पार्टी की फोटो देख रही थी। उसे कोई भी तस्वीर अच्छी नहीं लग रही थी। हारकर उसने फोटो देखना छोड़ दिया। लगा कि इन तस्वीरों पर तो पांच लाइक्स भी नहीं आएंगे। तभी यह सब देख रही उसकी दोस्त पूर्वी ने कहा, "इन तस्वीरों पर पांच नहीं, पांच सौ लाइक्स आएंगे। बस तू इन्हें ब्यूटी एप्स से एडिट करके पोस्ट कर दें।" बस, देखते ही देखते पूर्वी ने उन फोटो को ब्यूटी एप्स पर एडिट किया, जिनको देख श्रेया हैरान हो गई, क्योंकि सभी फोटो बेहद खूबसूरत लग रही थीं। उसका रंग थोड़ा सांवला है, वह मेकअप कर खुद को आत्मविश्वास से भरपूर पाती है। मगर उस दिन वह पार्टी में मेकअप करके नहीं जा सकी थी, जिसका दुख उसे फोटो देखकर लग रहा था। मगर एप्स से फोटो एडिट कर उसका यह दर्द भी कम हो गया। दोनों ने अच्छी तरह कैप्शन के साथ एडिट फोटो को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया, जिस पर अच्छे-खासे लाइक्स भी आ गए।
दरअसल, यह आज की पीढ़ी का एक अनोखा शगल यानी मन बहलाने का काम है, जो आधुनिक और ग्लैमरस दुनिया में अपने लुक को लेकर बहुत सजग है। यह अलग-अलग पोज में सेल्फी लेने और झट से सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से हिचकिचाती नहीं है, जिन पर मिलते लाइक्स और कमेंट्स इनके आत्मविश्वास तथा रोमांच को बढ़ाते हैं। सबसे अलग दिखने की चाहत में यह पीढ़ी कई तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट लेती है तो शानदार ग्लैमरस लुक पाने के अपने इस सपने को वह मोबाइल के ब्यूटी एप्स के जरिये भी पूरा करती है।
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।