अरुणाचल प्रदेश भारत का वह राज्य है, जहां सबसे पहले सूरज की रोशनी पहुंचती है। जी हां, भारत के उत्तर पूर्वीय | छोर पर स्थित अरुणाचल प्रदेश को सूरज की रोशनी से चमकते पहाड़ों के देश के रूप में जाना जाता है। पिछले कुछ समय से इस राज्य पर पर्यटकों की काफी मेहरबानी रही है और लोगों में अरुणाचल प्रदेश की सैर को ले कर खासा उत्साह देखा जा रहा है। यह बात और है कि यहां आने पर पर्यटक मन में यह पछतावा ले कर जाते हैं कि वे पहले यहां क्यों नहीं आए। और ऐसा हो भी क्यों ना, यहां के घने जंगलों में आपको ऑर्किड फूलों की 500 से ज्यादा दुर्लभ किस्में देखने को मिलेंगी । इसे धुंध भरी पहाड़ियों का राज्य कहें, कांच से चमकते पानी से लबालब नदियों की भूमि कहें या फिर ऐसा ख्वाबगाह कहें, जहां बैकग्राउंड में 24 घंटे खूबसूरत झरनों के गिरते, उफनते पानी का संगीत गूंजता रहता है। जो भी है अरुणाचल प्रदेश पर्यटन का एक अलग ही मुकाम है। पक्के मुसाफिर कहलाना चाहते हैं, तो नॉर्थ ईस्ट के मुहाने पर बसे अरुणाचल प्रदेश में आना ही पड़ेगा, वरना तो आप फिर कच्चे खिलाड़ी कहलाएंगे।
कैसे पहुंचें
पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से अरुणाचल प्रदेश में अपना एअरपोर्ट नहीं है। असम का गुवाहाटी इंटरनेशनल एअरपोर्ट और उत्तरी लखीमपुर का लीलाबाड़ी एअरपोर्ट ही यहां के सबसे नजदीक हैं। एअरपोर्ट से आप 2 घंटे में टैक्सी से इटानगर पहुंच सकते हैं। वहीं अरुणाचल के नाहरलगून रेलवे स्टेशन तक दिल्ली और गुवाहाटी से ही सबसे ज्यादा ट्रेनें चलती हैं। वैसे असम का हारमूटी रेलवे स्टेशन भी यहां से 34 किलोमीटर की दूरी पर है। ट्रेन का सफर लंबा और धीमा जरूर है, पर बेहद सुंदर है। दोनों ही रेलवे स्टेशनों से अरुणाचल के लिए बसें व टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं।
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