अकसर घरों में लड़के या लड़की की शादी के समय स्त्री धन का जिक्र होता है। स्त्री धन के बारे में हर महिला जानना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट कमलेश जैन के अनुसार, हिंदू मैरिज एक्ट में वे सभी वस्तुएं और संपत्तियां जो महिला को ससुराल या मायके से शादी से पहले या बाद में मिलती हैं, वे उसका स्त्री धन होती हैं। इसमें सभी तरह की चल-अचल संपत्तियां, नगदी, गहने, बैंक बैलेंस, इन्वेस्टमेंट और उपहार में मिली जायदाद भी शामिल है। वधू को बेटी के रूप में उसके माता-पिता, बहन-भाई और रिश्तेदार जो भी गिफ्ट या उपहार देते हैं और बहू के रूप में उसको सास-ससुर, देवरदेवरानी, जेठ-जेठानी या ससुराल के रिश्तेदारों से जो भी उपहार मिलते हैं, वह सब उसका स्त्री धन होता है। उसका उन गिफ्ट्स पर मालिकाना हक होता है।
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14 हर महिला को स्त्री धन का अधिकार देती है। अकसर ससुरालवाले सोचते हैं कि जो जेवर, सामान या संपत्ति उन्होंने दिया है, वह केवल बहू का स्त्री धन कैसे हो सकता है। वह तो खानदान की विरासत के रूप में बहू को दिया गया था, लेकिन कानून इन दलीलों को नहीं मानता । शादी के समय वर को दिए जानेवाले उपहार मसलन घड़ी, चेन, कपड़े आदि का स्त्री धन से कोई लेना-देना नहीं हैं, मगर महिला को मिलनेवाले सभी गिफ्ट पर उसका पूरा हक होता है। यही नहीं, यदि पत्नी के बिजनेस या जायदाद की देखभाल पति कर रहा है या उसका बिजनेस पति चला रहा है, तो वह केवल केअरटेकर माना जाएगा। पति पत्नी की सहमति से उसकी संपत्ति का उपयोग कर सकता है, लेकिन किसी किस्म का विवाद या अलगाव होने की स्थिति में पति को वह संपत्ति लौटानी होगी। अगर वधू के माता-पिता द्वारा वर को दिए गए उपहार वह पत्नी को गिफ्ट में दे दे, तब वे स्त्री धन माने जाएंगे। अलगाव होने पर वर्किंग महिलाएं घर पर खर्च किए गए रुपयों को वापस करने की मांग नहीं कर सकतीं।
स्त्री धन की आड़ में मुआवजे की मांग
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