सनस्क्रीन लगाने से पहले जान लें कि किस तरह की अल्ट्रावॉयलेट रेज से त्वचा पर बुरा असर होता है। अल्ट्रावॉयलेट रेज की दो कैटेगरी होती हैं — यूवीए और यूवीबी। यूवीए रेज ज्यादा खतरनाक होती हैं, क्योंकि ये त्वचा पर ज्यादा समय तक अपना बुरा असर छोड़ती हैं। यूवीबी किरणें सनबर्न और फोटो एजिंग के लिए जिम्मेदार होती हैं। दिल्ली की मेकअप आर्टिस्ट शौंपा घोष के मुताबिक, सनस्क्रीन यूवीबी किरणों को मामूली रूप से फिल्टर करता है, जबकि सनब्लॉक में जिंक ऑक्साइड होता है. जो दोनों तरह की किरणों से त्वचा को सुरक्षित रखता है। कई ऐसी कॉस्मेटिक और हर्बल कंपनियां हैं, जो दोनों तरह की किरणों से बचाव के लिए क्रीम तैयार कर रही हैं।
कौन सा सनस्क्रीन बेस्ट
मार्केट में 2 तरह के सनस्क्रीन उपलब्ध हैं, फिजिकल सनस्क्रीन और केमिकल सनस्क्रीन। फिजिकल सनस्क्रीन का अधिकतम एसपीएफ 20 होता है, जिसमें केमिकल काफी कम होता है, जबकि केमिकल सनस्क्रीन में 20 से ज्यादा एसपीएफ होता है और इसमें ज्यादा मात्रा में केमिकल होते हैं। जितना ज्यादा एसपीएफ, उतना ही ज्यादा केमिकल। ज्यादातर सनस्क्रीन में डाईऑक्सीबेंजोन, ऑक्सीबेंजोन या सुलिसोऑक्सीबेंजोन जैसे केमिकल होते हैं। ये ही यूवीए और यूवीबी रेडिएशन को सोखते हैं। बाजार में कई हर्बल सनस्क्रीन भी उपलब्ध हैं, जिन्हें बनानेवाली कंपनियां इनके 100 पर्सेट हर्बल और सुरक्षित होने का दावा करती हैं। लेकिन यह सच नहीं है। सनस्क्रीन लगाने के बाद भी स्किन टैन होता है। सनस्क्रीन लगाने के बाद भी हैट, छाता, स्कार्फ जैसी एक्सेसरीज का इस्तेमाल करना जरूरी है।
मॉइस्चराइजर युक्त सनस्क्रीन
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