हर शनिवार दिमाग को तरोताजा करने और नया कुछ जानने के लिए अकसर ऑनलाइन "कुछ डॉक्युमेंट्रीज, वेबसीरीज या पुरानी फिल्में देखना मेरा रूटीन सा बन गया है। पिछले दिनों किसी दोस्त ने सुझाव दिया कि एक पाकिस्तानी शॉर्ट फिल्म है, डॉटर बाय लॉ, इसे जरूर देखना। बस फिर क्या था, फिल्म देखने का प्रोग्राम बन गया। फिल्म तो बस खुद को हफ्तेभर की कामकाजी जिंदगी से बाहर निकालने के लिए देख रही थी, लेकिन एंटरटेनमेंट के आगे ऐसा लगा, जैसे यह फिल्म एक खलनायक को नायक बनाने पर तुल गयी है। सास-बहू के रिश्तों पर जब भी कोई फिल्म या टीवी सीरियल्स बनते हैं, उनमें हमेशा एक उलझा हुआ रिश्ता नजर आता है, जिसमें सास खलनायिका के तौर पर दिखती है। बरसों से बॉलीवुड फिल्मों और सीरियल्स में हम ऐसा ही देखते आ रहे हैं। डॉटर बाय लॉ फिल्म भी सास-बहू के रिश्ते पर केंद्रित है। जैसा कि हमेशा होता है, सास अपनी बहू को पूरी तरह से कंट्रोल में रखना चाहती हैं, लेकिन यहां कहानी में ट्विस्ट यह है कि बहू उस कड़वाहट के पीछे की कहानी को जान कर उन्हें जीवन में खुश रहने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
कहानी कुछ अलग है
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