CATEGORIES
Categorías
कम लागत में अधिक लाभ के लिए करें तिल की उन्नत खेती
तिलहनी फसलों में तिल एक प्रमुख फसल है, जिसे कम लागत और सीमित संसाधनों में उगा कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. तिल का क्षेत्रपल धीरेधीरे बढ़ रहा है.
खस की खेती से खुशहाली
खस यानी पतौरे जैसी दिखने वाली वह झाड़ीनुमा फसल, जिस की जड़ों से निकलने वाला तेल काफी महंगा बिकता है. इंगलिश में इसे वेटिवर कहते हैं.
कीवी एक जरूरी फल
कीवी एक ऐसा बहुगुणी फल है, जो हर मौसम में हर जगह आसानी से मिल भी रहा है और पूरी दुनिया में अपनी विशेषताओं के लिए खास फल रूपी औषधि भी बन रहा है.
धान से अच्छी पैदावार के लिए रोग से बचाना जरूरी
भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यह प्रमुख खाद्यान्न खरीफ फसल है. यह अधिक पानी वाली फसल है. हालांकि अब धान की कुछ ऐसी प्रजातियां और ऐसी तकनीकियां भी आ गई हैं, जिन में अधिक पानी की जरूरत नहीं होती.
ब्रुसेल्स स्प्राउट की उन्नत खेती से बढाएं आमदनी
किसानों के लिए सब्जी की खेती नकदी का सब से अच्छा जरीया माना जाता है. अगर सब्जियों की खेती वैज्ञानिक तरीकों से की जाए तो आमदनी और भी बढ़ जाती है.
कश्मीर में कैसर मुनाफा और मजबूरियां
कश्मीर को अगर प्राकृतिक सुंदरता के लिए 'धरती का स्वर्ग' कहा जाता है, तो इसी कश्मीर को पूरी दुनिया में केसर की उम्दा खेती के लिए भी जाना जाता है. यही वजह है कि आज कश्मीर के केसर की मांग भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बढ़ती जा रही है.
भैंसपालन : अच्छी नस्ल और खानपान
गांवदेहात व शहरी इलाकों में दूध की जरूरत की सप्लाई के लिए आमतौर पर किसान गायभैंस पर ही निर्भर रहते हैं. कई बार अच्छी भैंस खरीद कर लाने के बाद भी हमें अच्छा दूध का उत्पादन नहीं मिल पाता है या कई बार भैंस दूध में रहने के बाद भी समय से गरम नहीं होती. इस के चलते किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है.
राज्य स्तरीय फार्म एन फूड अवार्ड से नवाजे गए किसान
भारत के जाने माने प्रकाशनों में शुमार दिल्ली प्रैस वर्षों से अपने पाठकों की पसंदनापसंद का खयाल रखते हुए अलगअलग तबकों को ध्यान में रख पत्रिकाओं का प्रकाशन कर लेखों के जरीए सही राह दिखाने का काम करता रहा है. दिल्ली प्रैस की पत्रिकाओं के बैनर तले आएदिन पाठकों के साथ अलगअलग आयोजन कर उन से रूबरू होने का प्रयास भी किया जाता रहा है.
अगस्त माह में करें खेती से जुड़े काम
हमारे यहां खेती के नजरिए से किसानों के लिए वैसे तो हर महीना खास होता है, लेकिन अगस्त का महीना, जिसे हम हिंदी महीने के रूप में श्रावण और भाद्रपद के नाम से जानते हैं, खेती के लिए इसलिए ज्यादा अहम होता है कि इस महीने में मानसून जोरों पर होता है और वर्षा वाले क्षेत्रों में झमाझम बारिश भी होती है. यह भी कह सकते हैं कि मानसून बरसात की झड़ी लगा देता है, जिस के चलते चारों तरफ हरियाली बढ़ जाती है.
कम अवधि में पपीते की खेती
पपीता सब से कम समय में फल देने वाला पौधा है, इसलिए कोई भी इसे लगाना पसंद करता है.
अनाज में लगने वाले प्रमुख कीट और बचाव
अनाज में लगने वाले 4 मुख्य कीट हैं, चावल का घुन, गेहूं का खपरा, दालों का झंग, आटे की सूंड़ी. इन कीटों से प्रभावित होने वाले अनाज इस प्रकार हैं:
ऐसे कीजिए धान में खरपतवार प्रबंधन
धान की फसल ज्यादा पानी वाली फसल है और इस की खेती भी ज्यादातर इलाकों में बरसात के ऊपर ही निर्भर है. इन दिनों तरहतरह के खरपतवार भी तेजी से पनपते हैं, जो फसलों को खासा नुकसान पहुंचाते हैं. अगर समय पर इन की रोकथाम नहीं की जाए, तो फसल की उपज में भी कमी आती है
अरहर की खेती से मुनाफा कमाएं जमीन को उपजाऊ बनाएं
एक कहावत तो हम सब ने सुनी ही है कि आम के आम और गुठलियों के दाम. यह बात अरहर की फसल पर भी लागू होती है, क्योंकि इस की फसल से भी आप दूसरे कई फायदे ले सकते हैं. जैसे कि आप चाहें तो इस की हरी पत्तियों से टोकरी बना सकते हैं.
गन्ने की फसल में ऐसे करें देखभाल
किसान भाइयो, वर्तमान समय में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण जरूर कराएं और दूसरे लोगों को भी जागरूक करते रहें.
धान की नर्सरी और किस्मों का चयन
धान खरीफ की मुख्य फसल है. अगर कुछ बातों का शुरू से ही ध्यान रखा जाए, तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी.
घरआगन में उगाएं सजहन
भारत की गरम जलवायु में आसानी से उगने वाले और सूखा सहन करने वाले सहजन यानी मोरिंगा ओलिफेरा को हम सालों से देखते आ रहे हैं. पूरी दुनिया में सहजन के उत्पादन में
धान का बीज शोधन और रोपाई
धान की नर्सरी की तैयारी करने के लिए हलकी व उर्वरक भूमि को चुनते हैं, जिस से पौधों का विकास अच्छी तरह से हो सके और इस से रोपाई के लिए उखाड़ते समय जड़ें कम खराब होती हैं. रोपाई करने से 20-25 दिन पहले नर्सरी तैयार करनी चाहिए.
मक्का में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम)
जनपद आजमगढ़ के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खरीफ में मक्का की खेती एक बेहतर विकल्प हो सकती है. उत्तर प्रदेश में खरीफ में धान के बाद मक्का खाद्यान्न की मुख्य फसल है, लेकिन विभिन्न कारणों से इस फसल से अच्छा उत्पादन नहीं मिल रहा है. मक्का का क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों ही बढ़ाने की जरूरत है, साथ ही साथ उत्पादकता बढ़ाने पर भी विचार किया जाना चाहिए.
खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में संभावनाएं असीम लेकिन मंजिल है दूर
कृषि प्रधान भारत में आजादी के बाद सभी सरकारें खेतीबारी को अपेक्षित महत्त्व देती रही हैं. लेकिन कृषि उत्पादन बढ़ने के बाद भी किसानों का आर्थिक पक्ष वैसा मजबूत नहीं हो पाया, जो अपेक्षित था. इसी नाते समयसमय पर तमाम आंदोलन हुए. कृषि क्षेत्र की मजबूती के लिए कई उपाय विभिन्न मौकों पर तलाशे गए, जिस में खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं का विकास भी शामिल है.
मक्का फसल कीट, बीमारी और उन का प्रबंधन
पिछले अंक में आप ने मक्का की जैविक खेती के लिए खेत तैयार करने, बीज, खाद, उर्वरक, सिंचाई आदि के बारे में जाना. अब जानते हैं, मक्का की फसल में कीट व बीमारी की रोकथाम के बारे में.
सब्जी का उत्पादन बना आय का साधन
भदोही जनपद के विकासखंड डीध के शेरपुर पिंडरा गांव के निवासी संदीप कुमार गौड़, पिता स्वर्गीय नगेंद्र बहादुर गौड़, उम्र 42 वर्ष, गणित से परास्नातक हैं और कोचिंग चलाते हैं, लेकिन पिछले सालभर से ज्यादा समय से लौकडाउन होने के कारण कोचिंग बंद है, इसलिए घरपरिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है.
धान की खेती और फसल का रोगों व कीटों से बचाव
हमारे देश की खरीफ की प्रमुख खाद्यान्न फसल धान है. धान की खेती असिंचित व सिंचित दोनों परिस्थितियों में की जाती है. धान की फसल में विभिन्न कीटों का प्रकोप होता है. कीट एवं रोग प्रबंधन का कोई एक तरीका समस्या समाधान नहीं बन सकता, इसलिए रोग व कीट प्रबंधन के उपलब्ध सभी उपायों को समेकित ढंग से अपनाया जाना चाहिए.
आम के फलों का रखें ध्यान
आम के फल इस समय छोटे से बड़े हो रहे हैं और परिपक्वता की ओर बढ़ रहे हैं. बागबानों की मेहनत का नतीजा है कि आम के बागों में काफी फल दिखाई दे रहे हैं. इस समय आम के फलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि इस समय आम के फलों में कोयलिया बीमारी, फल की आंतरिक सड़न, तने व डालियों से गोंद निकलने की समस्या पाई जा रही है.
देशी सब्जी कचरी
वैसे तो आप इस सब्जी का नाम सुनेंगे, तो मुंह में पानी आ जाएगा और गांव की यादें भी ताजा हो जाएंगी. जानें इस के औषधीय गुण कि कचरी के फल के साथ विभिन्न भाषाओं में अनेक मुहावरे जुड़े हुए हैं.
मक्का की जैविक खेती
अपने पोषण के लिए मक्का भूमि से बहुत ज्यादा तत्त्व लेती है. जैविक खेती के लिए खेत में जीवाणुओं के लिए खास हालात का होना बहुत जरूरी है. मुख्य फसल से पहले दाल वाली फसल या हरी खाद जैसे हैंचा, मूंग आदि लेनी चाहिए और बाद में इन फसलों को खेत में अच्छी तरह मिला दें.
ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती
दलहनी फसलों में मूंग की एक अहम जगह है. इस में तकरीबन 24 फीसदी प्रोटीन के साथसाथ रेशा व लौह तत्त्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. मूंग जल्दी पकने वाली किस्मों व ऊंचे तापमान को सहन करने वाली प्रजातियों की उपलब्धता के कारण इस की खेती लाभकारी सिद्ध हो रही है.
अनाज भंडारण की वैज्ञानिक तकनीक
रबी फसलों की कटाई समाप्ति की ओर है. कटाईमड़ाई के बाद सब से जरूरी काम अनाज भंडारण का होता है. अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाने की जरूरत होती है, जिस से अनाज को लंबे समय तक चूहे, कीटों,नमी, फफूंद आदि से बचाया जा सके.
अदरक की खेती से किसानों को मिलेगा मुनाफा
बहुत समय से अदरक का इस्तेमाल मसाले के रूप में, सागभाजी, सलाद, चटनी और अचार व अलगअलग तरह की भोजन सामग्रियों के बनने के अलावा तमाम तरह तरह की औषधियों के बनाने में होता है. इसे सुखा कर सौंठ भी बनाई जाती है.
सेहत के लिए फायदेमंद काला नमक धान की खेती
ज्यादा पैदावार वाली काला नमक 101, काला नमक 102 व काला नमक 103 जैसी बौनी, खुशबूदार और ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित की गई हैं. इन की खेती कर के किसान ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं.
फसल अवशेषों में आग मत लगाइए जमीन की उर्वराशक्ति बढ़ाइए
हमारे देश में फसलों के अवशेषों का उचित प्रबंध करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. या कहें कि इस का उपयोग मिट्टी में जीवांश पदार्थ अथवा नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए नहीं किया जा रहा है, बल्कि इन का अधिकतर भाग या तो दूसरे घरेलू उपयोग में किया जाता है, या फिर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है जैसे कि गेहूं, गन्ने की हरी पत्तियां, आलू, मूली की पत्तियां वगैरह पशुओं को खिलाने में उपयोग की जाती हैं या फिर फेंक दी जाती हैं. कपास, सनई, अरहर आदि के तने, गन्ने की सूखी पत्तियां, धान का पुआल आदि सभी अधिकतर जलाने के काम में उपयोग कर लिए जाते हैं.