फरवरी महीने तक आलू पूरी तरह से तैयार होता है. इसे किसान बीज के लिए व आगे बेचने के लिए भी कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं. इस के लिए किसान आलू की अलगअलग साइजों में छंटाई कर ग्रेडिंग कर के रखें, तो अच्छे दाम भी मिलते हैं और आगे के लिए स्टोर करने के लिए सुविधा रहती है.
आलू की फसल आने के बाद उस के रखरखाव की भी खासा जरूरत होती है, क्योंकि आलू को खुला रखने पर उस में हरापन आ जाता है.
आलू की फसल तैयार होने के बाद आलू की खुदाई मजदूरों द्वारा और आलू खुदाई यंत्र ( पोटैटो डिगर) से की जाती है. हाथ से खुदाई करने पर काफी आलू कट जाते हैं और मंडी में आलू की सही कीमत नहीं मिलती है.
इसी काम को अगर आलू खोदने वाली मशीन से किया जाए, तो कम समय में आलू की खुदाई कर सकते हैं. मशीन के द्वारा आलू खुदाई करने पर आलू साफसुथरा भी निकलता है. उस के बाद आने वाली फसल की बोआई भी समय पर कर सकते हैं.
आलू की फसल खुदाई करने लायक होने पर आलू के पौधों को ऊपर से काट दें या उस पर खरपतवारनाशी दवा का छिड़काव कर दें, ताकि पौधों के पत्ते सूख जाएं और फसल की खुदाई ठीक से हो सके.
आलू खुदाई यंत्र
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पशुओं के लिए बरसीम एक पौष्टिक दलहनी चारा
बरसीम हरे चारे की एक आदर्श फसल है. यह खेत को अधिक उपजाऊ बनाती है. इसे भूसे के साथ मिला कर खिलाने से पशु के निर्वाहक एवं उत्पादन दोनों प्रकार के आहारों में प्रयोग किया जा सकता है.
औषधीय व खुशबूदार पौधों की जैविक खेती
शुरू से ही इनसान दूसरे जीवों की तरह पौधों का इस्तेमाल खाने व औषधि के रूप में करता चला आ रहा है. आज भी ज्यादातर औषधियां जंगलों से उन के प्राकृतिक | उत्पादन क्षेत्र से ही लाई जा रही हैं. इस की एक मुख्य वजह तो उनका आसानी से मिलना है. वहीं दूसरी वजह यह है कि जंगल के प्राकृतिक वातावरण में उगने की वजह से इन पौधों की क्वालिटी अच्छी और गुणवत्ता वाली होती है.
कृषि विविधीकरण : आमदनी का मजबूत जरीया
किसानों को खेती में विविधीकरण अपनाना चाहिए, जिससे कि वे टिकाऊ खेती, औद्यानिकीकरण, पशुपालन, दुग्ध व्यवसाय के साथ ही मधुमक्खीपालन, मुरगीपालन सहित अन्य लाभदायी उद्यम को करते हुए अपने परिवार की आय को बढ़ाने के साथसाथ स्वरोजगार भी कर सकें.
दुधारू पशुओं की प्रमुख बीमारियां और उन का उपचार
पशुपालकों को पशुओं की प्रमुख बीमारियों के बारे में जानना बेहद जरूरी है, ताकि उचित समय पर सही कदम उठा कर अपना माली नुकसान होने से बचा जा सके. कुछ बीमारियां तो एक पशु से दूसरे पशु को लग जाती हैं, इसलिए सावधान रहने की जरूरत है.
जनवरी में खेती के काम
जनवरी में गेहूं के खेतों पर ज खास ध्यान देने की जरूरत होती है. इस दौरान तकरीबन 3 हफ्ते के अंतराल पर गेहूं के खेतों की सिंचाई करते रहें. गेहूं के खेतों में अगर खरपतवार या दूसरे फालतू पौधे पनपते नजर आएं, तो उन्हें फौरन उखाड़ दें.
कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल में लगे कृषि मेले में 'फार्म एन फूड' का जलवा
मध्य प्रदेश खेतीकिसानी पर निर्भर राज्य है, वहां कि सानों, बागबानों और कृषि से जुड़े उद्यमियों को कृषि, बागबानी, डेयरी व कृषि अभियांत्रिकी से जुड़ी नवीनतम और उन्नत जानकारियों से लैस करने के लिए भोपाल के केंद्रीय कृषि अभियान अभियांत्रिकी संस्थान में पिछले दिनों 20 से ले कर 22 दिसंबर, 2024 को विशाल कृषि मेले का आयोजन हुआ.
पशुओं में गर्भाधान
गोवंशीय पशुओं का बारबार गरमी में आना और स्वस्थ गो व प्रजनन योग्य नर पशु से गर्भाधान या फिर कृत्रिम गर्भाधान सही समय पर कराने पर भी मादा पशु द्वारा गर्भधारण न करने की अवस्था को 'रिपीट ब्रीडिंग' कहते हैं.
शिमला मिर्च से हो रहा लाखों रुपए का मुनाफा
एकीकृत बागबानी विकास मिशन यानी (एमआईडीएच) बागबानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार की एक प्रायोजित योजना है. इस योजना के तहत फलसब्जियां, जड़कंद फसलें, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू, कोको और बांस जैसी बागबानी फसलों को बढ़ावा दिया जाता है.
रबी की सब्जियों में जैविक कीट प्रबंधन
रबी की सब्जियों में मुख्य रूप से गोभीवर्गीय में फूलगोभी, पत्तागोभी, गांठगोभी, सोलेनेसीवर्गीय में टमाटर, बैगन, मिर्च, आलू, पत्तावर्गीय में धनिया, मेथी, सोया, पालक, जड़वर्गीय में मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर एवं मसाला में लहसुन, प्याज आदि की खेती की जाती है।
बागबानी महोत्सव के जरीए बिहार ने उन्नत बागबानी से कराया रुबरु
पटना के गांधी मैदान में बिहार सरकार के कृषि महकमे के उद्यान निदेशालय द्वारा 3 जनवरी से 5 जनवरी, 2025 तक तीनदिवसीय बागबानी महोत्सव का आयोजन किया गया.