देश की प्राथमिकताओं में ये मुद्दे कहां हैं? राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्रों, संकल्पपत्रों एवं गारंटियों में यह मुद्दे कहां हैं? इन यक्ष प्रश्नों पर विचार क्यों नहीं होना चाहिए?
हमारे देश में चुनाव पर्व कमोबेश पूरे साल निरंतर चलता रहता है? विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा के अलावा ग्राम पंचायतों के चुनाव, विभिन्न स्थानीय निकायों के चुनाव, नगरपालिका, नगरनिगम, कार्पोरेशनों के चुनाव, नाना प्रकार की सहकारी समितियों, सोसाइटी के चुनावों में देश लगातार व्यस्त रहता है.
हालिया लोकसभा के चुनाव चक्र में राजनीतिक पार्टियां पिछले कई महीनों से पूरे जहां देश को मथ रही हैं, वहीं एकएक रैली पर करोड़ोंअरबों रुपए खर्च हो रहे हैं. कुल मिला कर अरबों खरबों रुपए इन चुनावों के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव के नाम पर समस्त सरकारी मशीनरियां पंगु बनी हुई हैं. कहीं कोई सार्थक काम इंचभर आगे बढ़ता नहीं दिखता.
कहा जाता है कि अब जो कुछ भी होगा, चुनाव के बाद ही होगा. पर ये चुनाव तो सतत चलते ही रहेंगे. इन खर्चीले चुनावों के संपन्न होने के बाद दरअसल होता क्या है?
अपवादों को छोड़ दें, तो इस में जो प्रत्याशी जीतेंगे, वे सब से पहले चुनाव में खर्च की गई अपनी पूरी रकम को मय ब्याज के इसी सिस्टम से येनकेन प्रकरेण वसूलेंगे. उस के बाद अपने आगामी चुनावों के लिए और आगे अपनी संतानों के चुनाव खर्च की अग्रिम व्यवस्था के लिए भी पैसा जनता की योजनाओं से ही चूसा जाएगा.
हमेशा की तरह ये सारे चयनित जनसेवक भी देखतेदेखते लोकतंत्र का पारस पत्थर घिस कर अमीर हो जाएंगे और आगे भी हमारेआप के जैसे लोग इसी तरह मजदूर दिवस, किसान दिवस मनाते और जिंदाबादमुरदाबाद करते रह जाएंगे.
अगर ऐसा नहीं होता, तो आजादी के 77 सालों बाद भी हमारे एक मजदूर की दैनिक मजदूरी एक कप अच्छी कौफी की कीमत से भी कम न होती. देश में न्यूनतम मजदूरी 300 रुपए से भी कम मिल रही है, जबकि आज अभिजात्य कौफीहाउस के एक कप कौफी की कीमत इस से ज्यादा है.
Esta historia es de la edición May Second 2024 de Farm and Food.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor ? Conectar
Esta historia es de la edición May Second 2024 de Farm and Food.
Comience su prueba gratuita de Magzter GOLD de 7 días para acceder a miles de historias premium seleccionadas y a más de 9,000 revistas y periódicos.
Ya eres suscriptor? Conectar
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
पराली प्रबंधन पर्यावरण के लिए जरूरी
मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?
मक्का की नई हाईब्रिड किस्म एचक्यूपीएम-28
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, करनाल ने चारे के लिए अधिक पैदावार देने वाली उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन मक्का (एचक्यूपीएम) की संकर किस्म एचक्यूपीएम 28 विकसित की है.
लाख का बढ़ेगा उत्पादन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय द्वारा किया जाता है.
धान की कटाई से भंडारण तक की तकनीकी
धान उत्पादन की दृष्टि से भारत दुनिया में सब से बड़े देशों में गिना जाता है.