दीपावली के ठीक छह दिन बाद मनाए जाने वाले पर्व छठ का भारतीय संस्कृति में व्यापक महत्त्व है। हमारे देश में छठ पर्व मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। सूर्योपासना का यह पर्व बिहार में घर-घर में मनाया जाता है। इसके अलावा, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल और पूर्वोत्तरी राज्यों में भी इस पर्व को लेकर खासा उत्साह रहता है। हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले इस पर्व को इस्लाम व अन्य धर्मावलंबी भी मनाते देखे गए हैं। हमारे यहां मान्यता है कि सूर्य की शक्तियों का मुख्य स्रोत उनकी पत्नियां उषा और प्रत्यूषा हैं। छठ में सूर्य के साथ-साथ उनकी दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है। प्रातःकाल में सूर्य की पहली किरण (उषा) और संध्याकाल में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को अर्घ्य देकर दोनों को नमन किया जाता है।
लोककथाएं
ऐसी मान्यता है कि चौदह वर्ष की वनवास की अवधि पूरी करने के पश्चात् भगवान राम, जानकी और लक्ष्मण के साथ कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या लौटे थे उसी दिन से दीपावली मनाई जाती है। अपने प्रिय राजा राम और रानी सीता के आने के उपलक्ष्य में राज्य भर में घी के दिये जलाए गए थे। राम के राज्याभिषेक के पश्चात् राम राज्य की परिकल्पना को ध्यान में रखकर राम और सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी को उपवास रखकर प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की आराधना की और सप्तमी को पूर्ण किया। पवित्र सरयू तट पर राम-सीता के इस अनुष्ठान से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया था। तब से छठ पर्व इस अंचल विशेष में लोकप्रिय हो गया।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
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