जागृतवस्था में देखे, सुने एवं अनुभूत प्रसंगों की पुनरावृत्ति, सुषप्तावस्था में मनुष्य को किसी न किसी रूप में एवं कभी-कभी बिना किसी प्रारंभ के, शुभ और अशुभ स्वप्न के रूप में दिग्दर्शित होती है। माना जाता है कि रात्रि के प्रथम प्रहर में यदि स्वप्न दिखाई दे तो उसका
फल एक वर्ष में मिलता है। दूसरे प्रहर के स्वप्न का फल छह महीने में, तीसरे प्रहर के स्वप्न का फल तीन माह में और आखिरी चतुर्थ प्रहर व ब्रह्म मुहुर्त में देखे गए स्वप्न का फल एक माह में मिलता है। सूर्योदय के समय देखे गए स्वप्न का फल कुछ ही घंटों में मिल जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के संहिता ग्रंथों एवं अनेक पुराणों में स्वप्नों के शुभाशुभ फलों का विस्तृत विवरण मिलता है। कभी-कभी स्वप्न के माध्यम से हमें भविष्य में होने वाली शुभ या अशुभ घटना का संकेत मिलता है। बहुत से व्यक्तियों के ऐसे अनुभव सुनने में आए हैं कि उनको किसी शुभ या अशुभ घटना का संकेत पहले ही स्वप्न में मिल गया था। आज के आधुनिक समाज में भी स्वप्न की मान्यता कम नहीं है। आज के समय में ज्योतिष के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है।
विभिन्न पुराणों व ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार कई स्वप्न शुभ फल प्रदान करते हैं जैसे कि स्वप्न में पर्वत, महल, हाथी, घोड़ा, गाय, दीपक, सीप, वृक्ष या शिखर पर चढ़ना, सूर्योदय, स्वर्ण इत्यादि का दिखना या इनकी चर्चा होना शुभ फलदायक होता है। इसके अलावा और भी कई तरह के स्वप्न हम सभी निद्रावस्था में देखते हैं जो शुभ एवं फलदायी हैं-
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।