हमारी संस्कृति में जितना महत्त्व तीज-त्योहारों और मेलों का है, उतना ही महत्त्व इन मौकों पर खान-पान का भी है। हमारे लगभग हर त्योहार पर्व के साथ किसी न किसी खास व्यंजन का नाम जुड़ा है। मसलन दीपावली मिठाइयों का त्योहार है तो होली के माहौल पर गुझिया छाई रहती है। त्योहारों के अलावा मेलों में भी मौज-मस्ती के साथ खान-पान पर पूरा जोर दिया जाता है। जब से मेलों ने व्यावसायिकता का दामन थामा है, तब से तमाम तरह के देशी-विदेशी व्यंजन मेलों की जान बन गए हैं। मेला चाहे होली, दीवाली या दशहरे का हो, चाउमीन और बर्गर जैसे विदेशी 'फास्ट फूड' से लेकर पारंपरिक डोसा, छोले-भटूरे, सरसों की रोटी और मक्के का साग तक खूब बिकते हैं। मेलों में सबसे ज्यादा भीड़ इन्हीं स्टॉलों पर दिखाई देती है।
दरअसल हम भारतीय मसालेदार चटपटे स्वाद के गुलाम हैं। मिठाई हमारी खास कमजोरी मानी जाती है। इसीलिए तीजत्योहारों पर खान-पान से जुड़ी तमाम तर की चेतावनियों को भुलाकर व्यंजनों के मैदान में टूट पड़ते हैं। बेचारे पेट पर तमाम तरह के व्यंजनों और पकवानों के प्रहार होने लगते हैं। मुसीबत यह है कि देर-सबेर इन प्रहारों की चोट कई रोगों और परेशानियों की शक्ल में हमें झेलने पड़ते हैं। सवाल उठता है कि जो भारतीय भोजन सदियों से हमारे लिए कल्याणकारी था, वही आज हम पर चोट क्यों कर रहा है ? खान-पान से सेहत को होने वाले नुकसान का असल दोषी हमारी बदली जीवन शैली, व्यंजन या पकवान बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली खाद्य सामग्री, खतरनाक रसायनों या सामग्री की मिलावट और गंदगी है। इन तीनों का मेल हमारे लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
पाक-कला और मसाले
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
जानें किड्स की वर्चुअल दुनिया
सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जाल में सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी फंसते जा रहे हैं, जिसका परिणाम यह है कि बच्चे धीरे-धीरे वर्चुअल दुनिया में ज़्यादा व्यस्त रहने की वजह से वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं।
सेहत के साथ लें स्वाद का लुत्फ
अच्छे खाने का शौकीन भला कौन नहीं होता है। खाना अगर स्वाद के साथ सेहतमंद भी हो तो बात ही क्या है। सवाल ये उठता है कि अपनी पसंदीदा खाद्य सामग्रियों का सेवन करके फिट कैसे रहा जाए?
लंबी सीटिंग से सेहत को खतरा
लगातार बैठना आज वजह बन रहा कई स्वास्थ्य समस्याओं की। इन्हें नज़र अंदाज करना खतरनाक हो सकता है। जानिए कुछ ऐसे ही परिणामों के बारे में-
योगा सीखो सिखाओ और बन जाओ लखपति
हमारे पास पैसे नहीं और ललक है लखपति बनने की, ऐसी चाह वाले व्यक्ति को हरदम लगेगा कि कैसे हम बनेंगे पैसे वाले। किंतु यकीन मानिए कि आप निश्चित रूप से लखपति बन सकते हैं केवल योगा का प्रशिक्षण लेकर और योगा सिखाने से ही।