भागदौड़ भरी इस जीवनशैली में आज हम कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो चुके हैं। इसकी वजह यह भी है कि जब हमें कोई बीमारी हो जाती है, तभी हम अपना ख़्याल रखना शुरू करते हैं, जबकि हमें कोई बीमारी ना हो और हम स्वस्थ रहें, इसके लिए हमें पहले से ही जागरूक होना होगा। खासकर महिलाओं को अपनी हेल्थ को लेकर ज्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्हें बस दूसरों का ख़्याल होता है, लेकिन जब खुद की हेल्थ की बात आती है तो महिलाएं अक्सर लापरवाही करती हैं, जोकि आगे चलकर खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए बेहद जरूरी है। कि हम समय-समय पर स्वास्थ्य की नियमित जांच करवाती रहें, जिससे आने वाले खतरे का पता चल सके।
स्क्रीनिंग टेस्ट का लाभ
स्क्रीनिंग टेस्ट का लाभ यह है कि इससे सही अर्थों में आपकी जान बच सकती है। जी हां, जब किसी बीमारी का पता शुरू में ही चल जाता है तो इससे निपट सकते हैं, क्योंकि बीमारी के फैलने और अनियंत्रित होने से पहले उसे संभाला जा सकेगा। आखिरकार इसका लाभ यह होगा कि स्वास्थ्य की आपकी स्थिति बेहतर होगी और आप एक ऑर्गेनिक जीवनशैली की ओर बढ़ेंगी । क्लिनिक एप्प के सीईओ सतकाम दिव्या इस बारे में बताती हैं कि एक महिला को कौन-कौन से स्क्रीनिंग टेस्ट करवाते रहना चाहिए।
1. कोलेस्ट्रॉल की जांच
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पहली सर्दी में नवजात शिशु का रखें खास ध्यान
वैसे तो सर्दियों का मौसम सभी के लिए कुछ अलग ही एहसास लेकर आता है, लेकिन नवजात और उसकी मां के लिए ये मौसम बेहद ख़ास होता है। नवजात शिशु की मां हर पल इसी चिंता में डूबी रहती है कि कहीं बच्चे को ठंड और वो बीमार न पड़ जाए।
वास्तु उपायों से बनाएं नववर्ष को मंगलमय
नया साल अपने साथ खुशियां और सौहार्द लेकर आता है। ऐसे में पूरे वर्ष को और भी ज्यादा वास बनाने के लिए वास्तु संबंधित कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं। इससे घर की परेशानियां दूर होने के साथ आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलेगा।
ज्योतिर्लिंग, रावणेश्वर महादेव
शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है पूर्वी भारत में देवधर के 'रावणेश्वर महादेव'। उनके देवधर में आवास की कथा बेहद रोचक और अद्भुत है। लंकापति रावण की मां शिवभक्त थी।
ओशो और विवेकः एक प्रेम कथा
सू एपलटन अपने पूर्व जन्म से ही ओशो की प्रेमिका रही है। अप्रैल 1971 में ओशो द्वारा संन्यास दीक्षा ग्रहण की। ओशो उसे नया नाम मा योग विवेक दिया। मा विवेक दिसंबर 09, 1989 को अपने भौतिक जीवन से पृथक हो गई।
मुझे कभी मृत मृत समझना मैं सदा वर्तमान हूं
ओशो ने मृत्यु को उसी सहजता और हर्ष से वरण किया था जिस प्रकार से एक आम व्यक्ति जीवन को करता है। उन्होंने जगत को यही संदेश दिया कि मृत्यु के प्रति सदा जागरूक रहो, उसे वरण करो। आज ओशो भले ही अपना शरीर छोड़ चुके हों लेकिन अपने विचारों के माध्यम से वो आज विश्व में कहीं ज्यादा विस्तृत, विशाल रूप से मौजूद हैं।
सर्दी बीतेगी मजेदार, जब अपनाएंगी ये 7 घरेलू नुस्खे
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सर्दियों में कैसे रखें बच्चों का ख्याल
गर्मियों की तपिश के बाद ठंडी हवाओं के चलते ही मन राहत महसूस करने लगता है, मगर यही सर्द हवाएं अपने साथ रूखापन, खांसी और जुकाम जैसी सौगात लेकर आती हैं, जो बड़े बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती हैं। अगर आप भी सर्दियों में अपने बच्चों को रखना चाहती हैं स्वस्थ, तो बरतें ये खास सावधानियां -
डायबिटीज के कारण यूटीआई का खतरा
यूं तो यूटीआई महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है, पर मधुमेह के कारण यूटीआई के संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है।
माहवारी में रखें स्वास्थ्य का ध्यान
पीरियड्स के दौरान हाइजीन रखना बहुत जरूरी है, जिससे किसी तरह का इंफेक्शन न हो सके। आज भी बहुत सी महिलाएं हैं, जो सैनेटरी पैड्स की जगह कपड़ा इस्तेमाल करती हैं। ऐसा करने से महिलाओं में कई तरह की बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सैनेटरी पैड्स के इस्तेमाल के लिए महिलाओं को जागरूक करना बहुत आवश्यक है।
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