प्रश्न ज्योतिष, ज्योतिष की वह कला है, जिससे आप अपने मन की कार्य सिद्धि को जान सकते हैं। कोई घटना घटित होगी या नहीं, यह जानने के लिए प्रश्न लग्न देखा जाता है। प्रश्न ज्योतिष में उदित लग्न के विषय में कहा जाता है कि लग्न में उदित राशि के अंश अपना विशेष महत्त्व रखते हैं। प्रश्न ज्योतिष में प्रत्येक भाव, प्रत्येक राशि अपना विशेष अर्थ रखती है। ज्योतिष की इस विधा में लग्न में उदित लग्न, प्रश्न करने वाला स्वयं होता है। सप्तम भाव उस विषय वस्तु के विषय का बोध कराता है, जिसके बारे में प्रश्न किया जाता है। प्रश्न किस विषय से सम्बन्धित है यह जानने के लिये जो ग्रह लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता है, उस ग्रह से जुड़ा प्रश्न हो सकता है या जो ग्रह में बलवान हो, लग्नेश से सम्बन्ध बनाये, उस ग्रह से जुड़ा प्रश्न हो सकता है। प्रश्न कुण्डली में प्रश्न का समय बहुत मायने रखता है, इसलिए प्रश्न का समय कैसे निर्धारित किया जाता है इसे अहम विषय माना जा सकता है।
प्रश्न ज्योतिष में समय निर्धारण
समय निर्धारण के विषय में प्रश्न कुण्डली का नियम है कि जब प्रश्नकर्ता के मन में प्रश्न उत्पन्न हो वही प्रश्न का सही समय है। जैसे प्रश्नकर्ता ने फोन किया और उस समय ज्योतिषी ने जो समय प्रश्नकर्ता को दिया, इन दोनों में वह समय लिया जायेगा जिस समय ज्योतिषी ने फोन सुना, वही प्रश्न कुण्डली का समय है। इसी प्रकार प्रश्नकर्ता आगरा से फोन करता है और ज्योतिषी दिल्ली में फोन से प्रश्न सुनता है। इस स्थिति में प्रश्न कुण्डली का स्थान दिल्ली होगा। प्रश्न कुण्डली का प्रयोग आज के समय में और भी ज्यादा होने लगा है। कई प्रश्नों का जवाब जन्म कुण्डली से देखना मुश्किल होता है, जबकि प्रश्न कुन्डली से उन्हें आसानी से देखा जा सकता है। प्रश्न कुण्डली से जाना जा सकता है कि अमुक इच्छा पूरी होगी या नहीं। प्रश्न कुण्डली से उन प्रश्नों का भी जवाब पाया जा सकता है, जिसका जवाब हां या ना में दिया जा सकता है जैसे अमुक मामले में जीत होगी या हार, बीमार व्यक्ति स्वस्थ होगा या नहीं, घर से गया व्यक्ति वापस लौटेगा या नहीं। इतना ही नहीं प्रश्न कुण्डली से यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि खोया सामान मिलेगा अथवा नहीं।
प्रश्न कुण्डली में भावों का स्थान
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