जैसे-जैसे सर्दियों के दिन करीब आते हैं, दिन और भी छोटे होते जाते हैं। बहुत से लोग सुस्ती, थकान और रोजमर्रा के कार्यों में रुचि न रख पाने का अनुभव करते हैं। इस समस्या को मौसम से प्रभावित विकार यानी सैड मूड भी कहते हैं। दरअसल, मौसम बदलने का प्रभाव सिर्फ स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसे सर्दियों में होने वाला डिप्रेशन भी कहते हैं । सर्दियों में शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन बढ़ जाता है, तब लोग इससे ग्रस्त हो जाते हैं। शरीर में दो प्रकार के हार्मोन बनते हैंमेलाटोनिन, यह रात में बढ़ता है और दूसरा सेलाटोनिन, जो दिन में बढ़ता है। सर्दियों में दिन छोटे होने के कारण कुछ हार्मोन में असंतुलन पैदा हो जाते हैं, साथ ही सूर्य की रोशनी कम मिलती है। इससे शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे डिप्रेशन हो जाता है। डाक्टर के. के. अग्रवाल के अनुसार इसका एकमात्र इलाज धूप है। इसे नियंत्रित न किया जाए तो बीमारी बढ़ जाती है। यह स्थिति आमतौर पर सर्दियां समाप्त होने पर खत्म हो जाती है, जब दिन लंबे हो जाते हैं। इसके इलाज के लिए आप डॉक्टर से दवा या फिर सलाह ले सकते हैं।
लक्षण
• लगातार थकान महसूस होना और किसी भी काम में मन न लगना।
• नकारात्मक विचार आना।
• हर बात में शक करना और कंफ्यूज रहना।
• नींद ना आना या फिर बहुत ज्यादा नींद का आना।
• लंबे समय तक उदासी और निराश रहना।
• अधिक खाना।
• वज़न बढ़ना।
• चिड़चिड़ापन रहना।
• अकेले रहने का मन करना, किसी से भी मिलने या बात करने की इच्छा का ना होना।
• चीजों और अपने काम में रुचि कम लेना।
कैसे बचें इस बीमारी से
• संतुलित और पौष्टिक भोजन लें।
• पर्याप्त आराम करें। 6 से 8 घंटे की नींद लें।
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
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सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
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