सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
Sadhana Path|November 2024
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
जगजीत सिंह अरोड़ा
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक

गभग साढ़े पांच सौ वर्ष पूर्व भारत कई छोटे छोटे भागों में विभाजित था। हर भाग स्वतंत्र रूप से एक राज्य था। इन राज्यों के राजा एक दूसरे के शत्रु होते थे और एक दूसरे पर हमला करते रहते थे। चारों तरफ अत्याचार और अनैतिकता का वर्चस्व था। सांप्रदायिक झगड़े आए दिन होते रहते थे।

इन विषम परिस्थितियों के बीच 20 अक्टूबर, 1469 को कार्तिक की पूर्णमासी के दिन तलवंडी (अब पाकिस्तान) में एक महापुरुष का जन्म हुआ। उनके पिता का नाम कालू मेहता एवं माता का नाम त्रिपता जी था। दौलता दाई ने बताया कि जन्म के समय बालक रोने के बजाय हंस रहा था और उसके मुंह पर तेज था, बालक ने वाहिगुरु भी बोला था। मुझे लगता है कि यह बालक अलौकिक है। कुछ दिनों बाद नाम रखने के लिए पंडित को बुलाया गए। जिसने नाम रखा नानक। लोगों ने कहा, 'कैसा नाम है? इससे पता ही नहीं चलता कि हिन्दू है अथवा मुसलमान', पंडित ने बताया कि ऐसा बालक आज तक नहीं देखा। अब तक हिन्दू मुसलमान अपने अपने अवतारों पूजा करते आए हैं, नानक की पूजा दोनों करेंगे। यह बालक स्वयं अवतार के रूप में संसार का कल्याण करने के लिए आया है।

बहुत छोटी आयु में नानक भक्तों की तरह चौकड़ी मार ईश्वर भक्ति में लीन हो जाते थे, साथी बालकों के साथ खेलते समय उन्हें भगवान का नाम लेने के लिए कहते थे। उन्हें घर से लाकर रोटी एवं अन्य चीजें देकर कहते थे कि मिलकर खाओ।

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