![फिल्म नगरिया की भाषा फिल्म नगरिया की भाषा](https://cdn.magzter.com/1718015421/1725267262/articles/mw_XaQfos1725361612928/1725361812849.jpg)
'मुझे मेरे संवाद आप देवनागरी करवाकर दे दें, मुझे रोमन लिपि में संवाद पढ़ना पसंद नहीं।' महानायक अमिताभ बच्चन ने जब पटकथा के प्रिंट हमें लौटाते हुए ये कहा तो मन में एक आश्चर्यमिश्रित ख़ुशी तो हुई ही, साथ ही पिछले एक दशक से भी अधिक समय से तमाम तरह के हिंदी कार्यक्रमों और फिल्मों के लिए अंग्रेज़ी में लिखी अपनी पटकथाएं भी याद आईं, जिन्हें अंग्रेज़ी में लिखना मजबूरी से ज़्यादा ज़रूरत बना दिया गया था।
भारतीय फिल्मोद्योग में सबसे ज़्यादा हिंदी फिल्में बनती हैं, जिन्हें मूल रूप हिंदी भाषी दर्शक देखते हैं, उनके संवाद अक्सर अपनी बातचीत में दोहराते हैं, मगर इस शहर, इस उद्योग में हिंदी पढ़ने वाले गिने-चुने लोग हैं और सही हिंदी पढ़कर समझ पाने वालों की संख्या तो और भी कम है। सितारों और फिल्मकारों के साक्षात्कार हों या हिंदी फिल्मों पर लिखी जाती अनगिनत किताबें, आमतौर पर ये सब हमें अंग्रेज़ी में ही मिलते हैं। आख़िर क्या कारण है कि हिंदी और उसकी लिपि देवनागरी को फिल्म उद्योग में ऐसे सौतेलेपन का सामना करना पड़ता है?
...क्योंकि अहिंदियों ने बनाया हिंदी सिनेमा
इस चलन की तह में जाने का प्रयत्न करें तो कुछ बातें बिलकुल साफ़ हैं, जैसे- हिंदी फिल्म जगत शुरुआत से ही दो खेमों में बंटा रहा - एक पंजाब और बंटवारे के बाद पाकिस्तानी हिस्से से आए कलाकारों का समूह और दूसरा बांग्ला निर्माता-निर्देशकों का दल इनके अलावा जो फिल्में उस समय बनाई जा रही थीं वे या तो मराठी होती थीं या ऐसी स्टंट फिल्में जिनमें विदेशी निर्देशक और भारत के अंग्रेज़ीदां निर्माता होते थे। इन सभी समूहों की लिपियां एक-दूसरे से बिलकुल भिन्न थीं और सभी का हाथ हिंदी में कमोबेश तंग ही था। पंजाब, उत्तरी भारत और पाकिस्तान से आए कलाकारों और लेखकों को पढ़ने-लिखने के लिए उर्दू का सहारा था, वहीं कलकत्ता (अब कोलकाता) से आए सारे कलाकार बांग्ला पसंद करते। यहां तक कि उस दौर में संपूरण सिंह 'गुलज़ार' को भी बिमल रॉय के यहां इसलिए मौक़ा मिल गया कि वे बांग्ला लिखना पढ़ना और बोलना जानते थे।
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![आलस्य आभूषण है आलस्य आभूषण है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/zzbO7x8uO1738586780609/1738586965755.jpg)
आलस्य आभूषण है
जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।
![अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/L7f6G0t_W1738588139109/1738588386951.jpg)
अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर
चांदनी रात में तारों को देखना कितना अलौकिक प्रतीत होता है ना, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तारे, ये आकाशगंगाएं और यह विशाल ब्रह्मांड किस गहरे रहस्य से बंधे हुए हैं? एक ऐसा रहस्य, जिसे हम देख नहीं सकते, लेकिन जो अपनी अदृश्य शक्ति से ब्रह्मांड की धड़कन को नियंत्रित करता है। यह रहस्य है- ब्लैक होल यानी कृष्ण विवर।
![खरे सोने-सा निवेश खरे सोने-सा निवेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/CKfSefwE51738586989311/1738587546289.jpg)
खरे सोने-सा निवेश
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों सोना सदियों से एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बना हुआ है?
![छत्रपति की कूटनीति छत्रपति की कूटनीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/qxtjQ6G7u1738585953921/1738586488566.jpg)
छत्रपति की कूटनीति
पन्हालगढ़ के क़िले में आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका था। सिद्दी जौहर और मराठा सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके भी बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। शिवाजी ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और एक रणनीति रची, दुश्मनों को भेदकर निकल जाने की रणनीति ।
![एक अवसर है दुःख एक अवसर है दुःख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/3mlDP1-4B1738584303808/1738584505229.jpg)
एक अवसर है दुःख
प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है, फिर दु:ख कैसे हो सकता है जिसे महसूस करने के लिए शरीर में एक सुघड़ तंत्र है! अत: दु:ख से भागने के बजाय अगर इसके प्रति जागरूक रहा जाए तो भीतर कुछ अद्भुत भी घट सकता है!
![जोड़ता है जो जल जोड़ता है जो जल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/fhuHDvDDO1738584527654/1738585280079.jpg)
जोड़ता है जो जल
सारे संसार के सनातनी कुंभ में एकत्रित होते हैं। जो जन्मना है वह भी, जो सनातन के सूत्रों में आस्था रखता है वह भी। दुनियादारी के जंजाल में फंसा गृहस्थ भी और कंदरा में रहने वाला संन्यासी भी।
![अदाकार की खाल पर खर्च नहीं अदाकार की खाल पर खर्च नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Tnz5JrK8Q1738582558401/1738582772399.jpg)
अदाकार की खाल पर खर्च नहीं
डॉली को शिकायत है कि जो पोशाक अदाकार की खाल जैसी होती है, उसके किरदार को बिना एक शब्द कहे व्यक्त कर देती है, उसे समुचित महत्व नहीं दिया जाता।
![जब बीमारी पहेली बन जाए... जब बीमारी पहेली बन जाए...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Qc7xb4YAc1738588025693/1738588124342.jpg)
जब बीमारी पहेली बन जाए...
कई बार सुनने में आता है कि फलां को ऐसा रोग हो गया जिसका इलाज ढूंढे नहीं मिल रहा। जाने कैसी बीमारी है, कई क्लीनिक के चक्कर लगा लिए मगर रोग पकड़ में ही नहीं आया।' ऐसे में संभव है कि ये रोग दुर्लभ रोग' की श्रेणी में आता हो। इस दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी) पर एक दृष्टि डालते हैं इन रोगों से जुड़े संघर्षों पर।
![AMBITION ET संकल्प के बाद AMBITION ET संकल्प के बाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/EpMe5uRUx1738582789094/1738583308689.jpg)
AMBITION ET संकल्प के बाद
नववर्ष पर छोटे-बड़े संकल्प लगभग सभी ने लिए होंगे।
![श्वास में शांति का वास श्वास में शांति का वास](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/9neGHffJn1738586618235/1738586767864.jpg)
श्वास में शांति का वास
आज जिससे भी पूछो वो कहेगा मुझे काम का, पढ़ाई का या पैसों का बहुत तनाव है। सही मायने में पूरी दुनिया ही तनाव से परेशान है। इस तनाव को रोका तो नहीं जा सकता मगर एक सहज उपाय है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। -